सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार ने पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर योजना शुरू की है। योजना के तहत काशी विश्वनाथ मंदिर के आस-पास के मंदिरों को हटाना, दुकानों को खाली कराना आदि कार्य होगा। कॉरीडोर बन जाने के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर जाने का मार्ग 20 फीट हो जायेगा और गंगा घाट से सीधे काशी विश्वनाथ मंदिर जाने के मार्ग को भी चौड़ा करने की योजना है। स्थानीय लोगों में इस योजना को लेकर जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि योजना के तहत काशी की पहचान बनी गलियों पर संकट आ जायेगा। कई दुकानदारों को अपनी दुकान छोडऩी पड़ेगी और प्राचीन मंदिरों को भी उनकी जगह से हटाना होगा। इस योजना का ब्लूप्रिंट तक सार्वजनिक नहीं किया गया है और खुद पीएम मोदी तक लोगों का विरोध पहुंच चुका है।
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सीएम योगी सरकार की कार्यप्रणाली से आरएसएस नाराज
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को लेकर आरएसएस नाराज है। आरएसएस सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के मंत्री से लेकर विधायक तक योजना को लेकर संवेदनशील नहीं है। विरोधी पार्टियों के लोग वहां पर पहुंच कर अपने अनुसार योजना की जानकारी स्थानीय लोगों को दे रहे हैं। इसके विपरित बीजेपी के मंत्री व विधायक इस क्षेत्र में जाकर लोगों को योजना से जुड़े तथ्य नहीं बता रहे हैं। बीजेपी के लोगों को जाना चाहिए और स्थानीय लोगों की समस्या को सुनना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है जिसके चलते स्थानीय लोगों में रोष बढ़ता रहा है। कई स्वंयसेवकों का आवास, दुकान भी योजना में प्रभावित हो रही है जिसके बाद भी बीजेपी के लोगों का वहां नहीं जाना बेहद निराशाजनक है। आरएसएस सूत्र ने बताया बीजेपी के मंत्री व नेताओं से संघ बेहद नाराज है और कर्नाटक चुनाव के बाद संघ की नाराजगी का असर भी दिखायी पड़ सकता है।
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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को लेकर आरएसएस नाराज है। आरएसएस सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के मंत्री से लेकर विधायक तक योजना को लेकर संवेदनशील नहीं है। विरोधी पार्टियों के लोग वहां पर पहुंच कर अपने अनुसार योजना की जानकारी स्थानीय लोगों को दे रहे हैं। इसके विपरित बीजेपी के मंत्री व विधायक इस क्षेत्र में जाकर लोगों को योजना से जुड़े तथ्य नहीं बता रहे हैं। बीजेपी के लोगों को जाना चाहिए और स्थानीय लोगों की समस्या को सुनना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है जिसके चलते स्थानीय लोगों में रोष बढ़ता रहा है। कई स्वंयसेवकों का आवास, दुकान भी योजना में प्रभावित हो रही है जिसके बाद भी बीजेपी के लोगों का वहां नहीं जाना बेहद निराशाजनक है। आरएसएस सूत्र ने बताया बीजेपी के मंत्री व नेताओं से संघ बेहद नाराज है और कर्नाटक चुनाव के बाद संघ की नाराजगी का असर भी दिखायी पड़ सकता है।
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संघ का अनुसांगिक संगठन कर रहा सर्वे
संघ ने अपने खास अनुसांगिक संगठन सूर्या फाउंडेशन को इस क्षेत्र मेें सर्वे के लिए लगाया गया है पिछले दस दिनों से सर्वे हो रहा है और अभी सूर्या फाउंडेशन से जुड़े दर्जनों लोग पहुंचने वाले हैं। सर्वे के तहत लोगों की समस्या, नाराजगी का कारण व निदान का पता किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो सूर्या फाउंडेशन की यह रिपोर्ट सीधे पीएम मोदी से लेकर संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों तक भेजी जा रही है। सूत्र ने बताया कि बीजेपी के लिए वह क्षेत्र बहुत मायने रखता है इसके बाद भी स्थानीय लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी के नेता नहीं पहुंचे हैं इसलिए सूर्या फाउंडेशन को लगाया गया है जिसकी रिपोर्ट बीजेपी के कई नेताओं की जमीन खिसकाने के लिए काफी है।
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आरएसएस के लिए बेहद खास सूर्या फाउंडेशन की रिपोर्ट
आरएसएस के लोग अधिकृत रुप से सूर्या फाउंडेशन के बारे में कुछ नहीं कहते हैं लेकिन सूत्रों की माने तो सूर्या फाउंडेशन बेहद खास है यह सीधे पीएम नरेन्द्र मोदी से लेकर आरएसएस के वरिष्ठतम स्वंयसेवकों से जुड़ा हुआ है। बीजेपी के आईटी सेल के काम में भी सूर्या फाउंडेशन अच्छा दखल रखती है इसलिए काशी विश्वनाथ कॉरीडोर प्रकरण में सूर्या फाउंडेशन को लगाने का मतलब है कि इस मुद्दे को संघ बेहद गंभीरता से ले रहा है और उसकी नाराजगी का असर भी जल्द ही दिख सकता है।
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