सपा व बसपा गठबंधन ने जब से सीटों का बंटवारा किया है तभी से सपा के सीटों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। पश्चिम यूपी में सपा को अधिक सीट मिलने की संभावना रहती थी लेकिन वहां की अधिकांश सीटे बसपा के खाते में आयी है जबकि पूर्वी यूपी की अधिकांश सीटे सपा को मिली है जहां पर बसपा अधिक मजबूती से लड़ सकती थी। इन्हीं सीटों में एक सीट पीएम नरेन्द्र मोदी की संसदीय सीट बनारस है। संसदीय चुनाव की बात की जाये तो इस सीट से सपा को कभी भी जीत नहीं मिली है। बसपा भी संसदीय चुनाव में इस सीट पर अपना खाता तक नहीं खोल पायी है। समाजवादी पार्टी के कैडर वोटर माने जाने वाले यादवों का एक वर्ग भी संसदीय चुनाव में बीजेपी के पाले में चला जाता है इसके बाद भी सपा को इस सीट पर चुनाव लडऩे की जिम्मेदारी मिली है। सपा को बसपा का साथ मिला तो ही गठबंधन यहां पर दमदारी से चुनाव लड़ पायेगा। यदि बसपा के वोटरों ने सपा के पक्ष में मतदान नहीं किया तो पार्टी का जीतना बेहद कठिन होगा।
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कांग्रेस के बाद बीजेपी का गढ़ बनी बनारस संसदीय सीट
कांग्रेस के बाद बीजेपी का गढ़ बनी बनारस संसदीय सीट की कहानी बेहद अलग है। बनारस संसदीय सीट 1952 से लेकर 1962 तक कांग्रेस के पास थी इसके बाद 1967 में माक्र्सवादी पार्टी के पास यह सीट चली गयी थी। 1971 में कांग्रेस, 1977 में इंडियन नेशनल लोकदल, 1980 व 1984 में फिर कांग्रेस प्रत्याशी ने इस सीट से चुनाव जीता था लेकिन 1991 से सारी कहानी बदल गयी। 1991 से लेकर 2004 तक इस सीट पर बीजेपी ही जीतती आयी थी। वर्ष 2004 में कांग्रेस ने एक बार इस सीट से चुनाव जीता था इसके बाद फिर से बीजेपी के ही कब्जे में बनारस संसदीय सीट है। बीजेपी नेताओं की माने तो लोकसभा चुनाव 2019 में यहां से पीएम नरेन्द्र मोदी ही पार्टी के प्रत्याशी होंगे। ऐसे में सपा के लिए यह सीट बेहद परेशानी वाली हो सकती है।
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कांग्रेस के बाद बीजेपी का गढ़ बनी बनारस संसदीय सीट की कहानी बेहद अलग है। बनारस संसदीय सीट 1952 से लेकर 1962 तक कांग्रेस के पास थी इसके बाद 1967 में माक्र्सवादी पार्टी के पास यह सीट चली गयी थी। 1971 में कांग्रेस, 1977 में इंडियन नेशनल लोकदल, 1980 व 1984 में फिर कांग्रेस प्रत्याशी ने इस सीट से चुनाव जीता था लेकिन 1991 से सारी कहानी बदल गयी। 1991 से लेकर 2004 तक इस सीट पर बीजेपी ही जीतती आयी थी। वर्ष 2004 में कांग्रेस ने एक बार इस सीट से चुनाव जीता था इसके बाद फिर से बीजेपी के ही कब्जे में बनारस संसदीय सीट है। बीजेपी नेताओं की माने तो लोकसभा चुनाव 2019 में यहां से पीएम नरेन्द्र मोदी ही पार्टी के प्रत्याशी होंगे। ऐसे में सपा के लिए यह सीट बेहद परेशानी वाली हो सकती है।
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अखिलेश यादव व डिंपल यादव का रोड शो नहीं आया था काम
वाराणसी जिले में आठ विधानसभा सीट है। कुछ सीटों पर सपा को जीत मिलती आयी है। यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में अखिलेश यादव, डिंपल यादव व राहुल गांधी ने एक साथ रोड शो किया था लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर के आगे सपा की सारी मेहनत बेकार हुई। वाराणसी जिले की आठों विधानसभा सीट बीजेपी के खाते में आ गयी थी अब सपा व बसपा गठबंधन को बनारस संसदीय सीट से लोकसभा प्रत्याशी जीताने में कामयाब हो जाते हैं तो यह इतिहास होगा।
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वाराणसी जिले में आठ विधानसभा सीट है। कुछ सीटों पर सपा को जीत मिलती आयी है। यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में अखिलेश यादव, डिंपल यादव व राहुल गांधी ने एक साथ रोड शो किया था लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर के आगे सपा की सारी मेहनत बेकार हुई। वाराणसी जिले की आठों विधानसभा सीट बीजेपी के खाते में आ गयी थी अब सपा व बसपा गठबंधन को बनारस संसदीय सीट से लोकसभा प्रत्याशी जीताने में कामयाब हो जाते हैं तो यह इतिहास होगा।
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