शिवपाल यादव के समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने के बाद से लगातार यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या अतीक अहमद व मुख्तार अंसारी भी शिवपाल की पार्टी में जायेंगे। फूलपुर उपचुनाव के समय अतीक अहमद ने निर्दल ही चुनाव लड़ा था उस समय कहा जा रहा था कि बीजेपी के इशारे पर ही चुनाव लड़ा है। कोर्ट में पेशी में आये अतीक अहमद ने ऐलान किया था कि वह खुद अपनी पार्टी बनायेंगे। अतीक अहमद भले ही चुनाव हार गये थे लेकिन उसके बाद भी अपनी पार्टी नहीं बनायी है जबकि लोकसभा चुनाव २०१९ को लेकर अधिक समय नहीं बचा है। संभावना है कि बीजेपी व महागठबंधन के बीच लोकसभा चुनाव में सीधा मुकाबला होने वाला है अतीक अहमद चुनाव लडऩे की तैयारी में है लेकिन किस दल से चुनाव लड़ेंगे। यह अभी तय नहीं है। इसी बीच शिवपाल यादव का नया मोर्चा अतीक के लिए एक विकल्प बन कर उभरा है।
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अतीक व मुख्तार अंसारी के पार्टी में शामिल होने पर शिवपाल ने दिया था यह जवाब
आजमगढ़ के दौरे पर गये शिवपाल यादव से जब मीडिया ने पूछा था कि क्या मुख्तार अंसारी व अतीक अहमद भी आपके मोर्चा में शामिल होंगे। इस पर शिवपाल यादव ने कहा था कि उनके मोर्चा को ४५ दलों का समर्थन है। नयी पार्टी की जल्द ही घोषणा होगी। अतीक अहमद व मुख्तार अंसारी के शामिल होने पर सहयोगियों से वार्त करके ही निर्णय किया जायेगा। यदि अतीक अहमद व मुख्तार अंसारी खुद हमारे मोर्चा में शािमल होना चाहते हैं तो उनका स्वागत है।
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आजमगढ़ के दौरे पर गये शिवपाल यादव से जब मीडिया ने पूछा था कि क्या मुख्तार अंसारी व अतीक अहमद भी आपके मोर्चा में शामिल होंगे। इस पर शिवपाल यादव ने कहा था कि उनके मोर्चा को ४५ दलों का समर्थन है। नयी पार्टी की जल्द ही घोषणा होगी। अतीक अहमद व मुख्तार अंसारी के शामिल होने पर सहयोगियों से वार्त करके ही निर्णय किया जायेगा। यदि अतीक अहमद व मुख्तार अंसारी खुद हमारे मोर्चा में शािमल होना चाहते हैं तो उनका स्वागत है।
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शिवपाल यादव के लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं अतीक अहमद व मुख्तार अंसारी
शिवपाल यादव को अतीक अहमद व मुख्तार अंसारी का साथ मिल जाता है तो सेक्युलर मोर्चा के लिए यह गेम चेंजर साबित हो सकता है। अतीक व मुख्तार दोनों ही मुस्लिमों के बड़े नेता माने जाते हैं। दोनों बाहुबलियों का टिकट अखिलेश यादव ने ही काटा था इसके चलते सपा से दोनों नेताओं की नाराजगी है जो शिवपाल यादव के काम आ सकती है। सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव में अंसारी बंधु कम से कम दो टिकट चाहते हैं। मुख्तार अंसारी व उनके बेटे अब्बास अंसारी के अतिरिक्त अफजाल अंसारी भी चुनाव लड़ सकते हैं। बसपा व सपा का गठबंधन होने पर अंसारी बंधु को अधिक सीट मिलने की संभावना कम है ऐसे में शिवपाल यादव का सेक्युलर मोर्चा बहुत काम आ सकता है। शिवपाल यादव ने पहले ही दोनों नेताओं के शामिल होने को लेकर हरी झंडी दिखा दी है।
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शिवपाल यादव को अतीक अहमद व मुख्तार अंसारी का साथ मिल जाता है तो सेक्युलर मोर्चा के लिए यह गेम चेंजर साबित हो सकता है। अतीक व मुख्तार दोनों ही मुस्लिमों के बड़े नेता माने जाते हैं। दोनों बाहुबलियों का टिकट अखिलेश यादव ने ही काटा था इसके चलते सपा से दोनों नेताओं की नाराजगी है जो शिवपाल यादव के काम आ सकती है। सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव में अंसारी बंधु कम से कम दो टिकट चाहते हैं। मुख्तार अंसारी व उनके बेटे अब्बास अंसारी के अतिरिक्त अफजाल अंसारी भी चुनाव लड़ सकते हैं। बसपा व सपा का गठबंधन होने पर अंसारी बंधु को अधिक सीट मिलने की संभावना कम है ऐसे में शिवपाल यादव का सेक्युलर मोर्चा बहुत काम आ सकता है। शिवपाल यादव ने पहले ही दोनों नेताओं के शामिल होने को लेकर हरी झंडी दिखा दी है।
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पीएम मोदी लहर में भी मुख्तार अंसारी जीते थे चुनाव
फूलपुर उपचुनाव में भले ही अतीक अहमद को हार मिली थी लेकिन जेल में रहते हुए भी हजारों वोट पाये थे। यूपी चुनाव 2017 में मुख्तार अंसारी मऊ सदर से चुनाव लड़े थे। यहां पर ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा का प्रत्याशी मैदान में था। पीएम नरेन्द्र मोदी खुद यहां पर चुनावी सभा करने आये थे और ओमप्रकाश राजभर को देखते हुए कहा था कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा था। पीएम मोदी के इस बयान की काफी चर्चा हुई थी इसके बाद भी मुख्तार अंसारी ने चुनाव जीत कर अपना दम दिखाया था। साफ हो जाता है कि शिवपाल यादव को अपना मोर्चा खड़ा करने के लिए जनाधान की जरूरत है यदि अतीक अहमद व मुख्तार अंसारी का साथ मिल जाता है तो समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का जनाधान बढऩे से कोई नहीं रोक सकता है।
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