यूपी में मायावती व अखिलेश यादव की सरकार के दौरान बड़े मुद्दे पर गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ खुल कर अपनी बात कहते थे। हिन्दुत्व का मुद्दा हो तो योगी आदित्यनाथ का बयान सभी पर भारी पड़ता था। यूपी में सीएम योगी का अपना एक क्रेज था और जब यूपी चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था तो उस समय सोशल मीडिया से लेकर अन्य जगहों पर योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाने की मांग हो रही थी। यूपी का सीएम बनते ही योगी आदित्यनाथ ने ताबड़तोड़ निर्णय लेकर सभी को चकित कर दिया था लेकिन साल भर बीतते ही सीएम योगी का ग्लैमर खत्म होने लगा है।
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जानिए वह पांच कारण जो बता रहे हैं कि सीएम योगी का खत्म हो रहा ग्लैमर
1-अधिकारियों की आंख से व्यवस्था देखना
सीएम योगी आदित्यनाथ पर सबसे बड़ा आरोप अधिकारियों की आंख से व्यवस्था देखने का लगता है। ओमप्रकाश राजभर से लेकन बीजेपी के अन्य नेता समय-समय पर यही आरोप लगाते रहते हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय बनारस में सीएम योगी के संवाद कार्यक्रम में ग्राम प्रधानों ने विरोध कर दिया। उनका भी यही आरोप था कि अधिकारियों के आगे सीएम योगी कुछ सुनते नहीं है। ऐसे कई मौके आये हैं जब विरोधी से लेकर सत्ता पक्ष के लोगों ने खुल कर सीएम योगी पर अधिकारियों के अनुसार काम करने का आरोप लगाया है।
2-कुर्सी मिलते ही करने लगे तुष्टीकरण
सीएम योगी सार्वजनिक सभा में कई बार बोला था कि वह तुष्टीकरण नहीं करेंगे। सत्ता मिलने के बाद उन पर भी तुष्टीकरण करने का आरोप लग रहा है। बनारस में खुद एसएसपी आरके भारद्वाज ने दालमंडी अवैध भूमिगत बेसमेंट पकड़ा था और उस समय बड़ी कार्रवाई करने की बात कही जा रही थी लेकिन जब अवैध बेसमेंट गिराने का प्रस्ताव यूपी सरकार को भेजा गया तो आज तक आदेश नहीं आया है जबकि बनारस में आम लोगों की भाषा में कहा जाता है कि सरकार किसी की हो। दालमंडी पर कार्रवाई नहीं हो सकती है।
3-मायावती की तरह सरकार पर नहीं दिखी हनक
बसपा सुप्रीमो मायावती की तरह सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार पर हनक नहीं दिखती है। मुख्यमंत्री के साल भर के कार्यक्रम में सीएम योगी ने जितने दौरे किये हैं उतना निरीक्षण अखिलेश यादव व मायावती ने भी नहीं किया है। गड़बड़ी मिलने पर ही मौके पर कार्रवाई नहीं करना व सिर्फ फटकार व चेतावनी के सहारे काम चलाने के चलते ही अधिकारियों पर सीएम का खौफ नहीं बन पाया है।
4-जाति के आधार पर कारवाई करना
सीएम योगी पर जातिवाद के आधार पर भी कार्रवाई करने का आरोप लगता रहता है। हाल में ही अवैध खनन के मामले में सीएम योगी ने दो डीएम को निलंबित किया था लेकिन जब अवैध खनन के ही आरोप में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईएएस राजीव रौतेला व एक अन्य जिलाधिकारी को निलंबित करने का आदेश दिया था तो सीएम योगी सरकार ने कार्रवाई नहीं की। इसके विपरित राजीव रौतेला को गोरखपुर का डीएम बना दिया था, जिन्हें चुनाव हारने के बाद ही हटाया गया।
5-जनता से संवाद नहीं होना
सीएम योगी का जनता से संवाद नहीं हो पाता है जब वह निरीक्षण में भी जाते हैं तो अधिकारी व मंत्री जिसे चाहते है वह सीएम योगी से मिलता है। पूर्व में बनारस दौरे में आये सीएम योगी से व्यवस्था की शिकायत करने पहुंचे एक जेल के सिपाही को अधिकारियों ने भगा दिया। सरकारी अस्पताल का निरीक्षण करते समय जब लोगों ने लावारिस मरीजों की हालत का मुद्दा उठाना चाहा तो बनारस के ही एक राज्यमंत्री ने रोक दिया। इसके चलते आम जनता भी सीएम योगी से किनारा करते जा रही है जिसका परिणाम बीजपी को गोरखपुर, फूलपुर व कैराना संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में मिल चुका है।
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1-अधिकारियों की आंख से व्यवस्था देखना
सीएम योगी आदित्यनाथ पर सबसे बड़ा आरोप अधिकारियों की आंख से व्यवस्था देखने का लगता है। ओमप्रकाश राजभर से लेकन बीजेपी के अन्य नेता समय-समय पर यही आरोप लगाते रहते हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय बनारस में सीएम योगी के संवाद कार्यक्रम में ग्राम प्रधानों ने विरोध कर दिया। उनका भी यही आरोप था कि अधिकारियों के आगे सीएम योगी कुछ सुनते नहीं है। ऐसे कई मौके आये हैं जब विरोधी से लेकर सत्ता पक्ष के लोगों ने खुल कर सीएम योगी पर अधिकारियों के अनुसार काम करने का आरोप लगाया है।
2-कुर्सी मिलते ही करने लगे तुष्टीकरण
सीएम योगी सार्वजनिक सभा में कई बार बोला था कि वह तुष्टीकरण नहीं करेंगे। सत्ता मिलने के बाद उन पर भी तुष्टीकरण करने का आरोप लग रहा है। बनारस में खुद एसएसपी आरके भारद्वाज ने दालमंडी अवैध भूमिगत बेसमेंट पकड़ा था और उस समय बड़ी कार्रवाई करने की बात कही जा रही थी लेकिन जब अवैध बेसमेंट गिराने का प्रस्ताव यूपी सरकार को भेजा गया तो आज तक आदेश नहीं आया है जबकि बनारस में आम लोगों की भाषा में कहा जाता है कि सरकार किसी की हो। दालमंडी पर कार्रवाई नहीं हो सकती है।
3-मायावती की तरह सरकार पर नहीं दिखी हनक
बसपा सुप्रीमो मायावती की तरह सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार पर हनक नहीं दिखती है। मुख्यमंत्री के साल भर के कार्यक्रम में सीएम योगी ने जितने दौरे किये हैं उतना निरीक्षण अखिलेश यादव व मायावती ने भी नहीं किया है। गड़बड़ी मिलने पर ही मौके पर कार्रवाई नहीं करना व सिर्फ फटकार व चेतावनी के सहारे काम चलाने के चलते ही अधिकारियों पर सीएम का खौफ नहीं बन पाया है।
4-जाति के आधार पर कारवाई करना
सीएम योगी पर जातिवाद के आधार पर भी कार्रवाई करने का आरोप लगता रहता है। हाल में ही अवैध खनन के मामले में सीएम योगी ने दो डीएम को निलंबित किया था लेकिन जब अवैध खनन के ही आरोप में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईएएस राजीव रौतेला व एक अन्य जिलाधिकारी को निलंबित करने का आदेश दिया था तो सीएम योगी सरकार ने कार्रवाई नहीं की। इसके विपरित राजीव रौतेला को गोरखपुर का डीएम बना दिया था, जिन्हें चुनाव हारने के बाद ही हटाया गया।
5-जनता से संवाद नहीं होना
सीएम योगी का जनता से संवाद नहीं हो पाता है जब वह निरीक्षण में भी जाते हैं तो अधिकारी व मंत्री जिसे चाहते है वह सीएम योगी से मिलता है। पूर्व में बनारस दौरे में आये सीएम योगी से व्यवस्था की शिकायत करने पहुंचे एक जेल के सिपाही को अधिकारियों ने भगा दिया। सरकारी अस्पताल का निरीक्षण करते समय जब लोगों ने लावारिस मरीजों की हालत का मुद्दा उठाना चाहा तो बनारस के ही एक राज्यमंत्री ने रोक दिया। इसके चलते आम जनता भी सीएम योगी से किनारा करते जा रही है जिसका परिणाम बीजपी को गोरखपुर, फूलपुर व कैराना संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में मिल चुका है।
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