डीसीएम निवासी कमलेश बाई अपनी बहु की डिलेवरी करवाने के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया। उसने एक बच्चे को जन्म दिया। जन्म के बाद उसे बेड नहीं मिला। आखिरकार उसे लेबर रूम के बाहर नीचे सोना पड़ा। संतोषी नगर निवासी पूनम को भी डिलेवरी हुई। उसे भी पुत्र रत्न हुआ, लेकिन उसे भी बेड नहीं मिला। आखिरकार उसे भी नीचे ही बच्चे के साथ सोना पड़ा।
यह भी पढ़ें
आरटीयू : बिना अनुमति हुई थी शिक्षकों की पदोन्नति तीसरी कमेटी ने शुरू की विशेष जांच
कहां क्या हाल लेबर रूम
इस वार्ड में डिलेवरी करवाने वाली महिलाओं को रखा जाता है। 8 बेड के इस रूम में 24 मरीजों की वेटिंग चल रही है। यहां पर्याप्त बेड नहीं होने के कारण मजबूरी में मरीजों को इधर-उधर शिफ्ट करना पड़ रहा है।
एंटी नेटल वार्ड (एएनसी) इस वार्ड में डिलेवरी से पहले या महिला मरीज को ब्लड चढ़ाना हो तो ऐसी महिलओं को भर्ती किया जाता है। यहां 22 बेड है, लेकिन 22 ही फुल चल रहे है।
यह भी पढ़ें
दिल्ली हवाई सेवा से कोटा के प्रमोशन को मिलेगा फायदा
पीएनसी वार्ड
इस वार्ड में नॉर्मल डिलेवरी वाले मरीजों को भर्ती किया जाता है। 22 वार्ड है, लेकिन पूरे भरे पड़े है। मरीजों को गैलरियों में अलग से बेड देखकर भर्ती किया हुआ है। पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड इस वार्ड में सीजिरियन, महिला के पेट में पानी भरने की समस्या जैसी बीमारियों के मरीज भर्ती किए जाते है। इसमें 22 बेड है, लेकिन पूरे भर्ती है। गेलरिया व अन्य जगहों पर भी 10 से 20 बेड अतिरिक्त लगे है, लेकिन उनमें भी मरीज भर्ती है। अन्य मरीजों को नीचे ही सोना पड़ता है।
Big News: वीएमओयू में घोटाला: 171 कर्मचारियों से होगी 3 करोड़ की वसूली
स्त्री रोग विभाग विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल पाटीदार ने कहा कि अस्पताल में मरीज लगातार बढ़ रहे है। इसके लिए अलग से वार्ड व बेड बढ़ाने के लिए उच्चाधिकारियों को लिख चुके है।
न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक डॉ. देवेन्द्र विजयवर्गीय ने कहा कि अस्पताल में क्षमता से तीन गुना अधिक मरीज आ रहे है। बावजूद उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा दे रहे है। गायनिक वार्ड में जगह की कमी के चलते बेड की व्यवस्था नहीं कर पा रहे है। अन्य वार्डों में खाली जगहों पर बेड लगा रखे है। बावजूद मरीज आ रहे है। अस्पताल के दूसरे तल का निर्माण होगा। उसमें गायनिक आईसीयू वार्ड का निर्माण होगा। उसमें और अच्छी सुविधाएं देंगे।