एनटीसीए ने मुकुंदरा में बाघ शिफ्टिंग के आखिरी वक्त में इंतजामों को नाकाफी बता दिया था। दरा रेलवे ट्रेक के आसपास बनाई गई 36 किमी लंबी दीवार को भी वन्य जीव संरक्षण नियम के विपरीत बता दिया था। हालांकि 30 मार्च को मुख्यमंत्री के साथ हुई वन अधिकारियों की बैठक में हुए फैसले के मुताबिक रणथंभौर से निकल रामगढ़ में विचरण कर रहे बाघ को मुकुंदरा में ‘रीलोकेट कर दिया गया।
सरकार का मास्टर स्ट्रोक बाघ को पहले सेल्जर में बनाए गए एनक्लोजर में लाना था, लेकिन सुरक्षा के मद्देेनजर आखिरी समय में दरा में बनाए गए 82 वर्ग किमी के हाई सिक्योरिटी जोन में शिफ्ट करने तैयार कर ली। इससे पर्यटन कारोबारियों की लॉबी भड़क गई और इस जोन के बाहर बनाई गई 36 किमी लंबी और 3.6 मीटर ऊंची पत्थर की दीवार को पर्यावरण के विपरीत बता शिकायत एनटीसीए से कर दी। इस पर प्राधिकरण ने बाघ शिफ्टिंग पर रोक लगा दी। लेकिन, सरकार ने अब ब्रोकन टेल के दरा रेलवे ट्रेक पर आकर कट जाने की घटना का उदाहरण देते हुए इस दीवार को सुरक्षा के लिए अहम बताया है।
डेढ़ महीने में आ जाएगी बाघिन जानकारों के मुताबिक चूंकि मामला बाघ की सुरक्षा का है, लिहाजा एनटीसीए के पास अब विकल्प नहीं बचता है। एनटीसीए से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अप्रेल के आखिर तक आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद प्राधिकरण मई में रणथंभौर से बाघिन लाने की इजाजत दे सकता है।
एमपी से भी आएगी बाघिन
पूरे राजस्थान में एक ही जीन पूल के बाघ पाए जाते हैं। ऐसे में यदि इन बाघों की प्रजाति में कोई बड़ी खामी या बीमारी आती है तो सभी के खत्म होने का खतरा मंडराने लगेगा। जीन पूल समान होने से बाघों की प्रतिरोधक और विकासात्मक क्षमता भी कम होती जा रही है। इस खामी को दूर करने के लिए पिछले एक दशक से मुकुंदरा में बाघ बसाए जाने की लड़ाई लड़ रहे ग्रीन कोर के संयोजक डॉ. सुधीर गुप्ता ने वन अधिकारियों को मुकुंदरा में अलग-अलग जीन पूल के बाघ-बाघिन लाने का प्रस्ताव सौंपा था। यह अब परवान चढ़ता नजर आ रहा है। विभाग रणथंभौर के बाद दूसरी बाघिन मध्य प्रदेश से लाने की तैयारी में जुटा है।
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सांसद और लोकसभा में पर्यटन मामलों की समिति के सदस्य दुष्यंत सिंह ने बताया कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को आबाद करने में राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी नहीं होने दी जाएगी। इस टाइगर रिजर्व के विकास के लिए किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। जो भी जरूरी होगा, कदम उठाएंगे।