राजावत अपना नाम चमकाने गए और किसानों की नाव डूबा आए..
भामाशाहमंडी में दो दिन से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उड़द की खरीद बंद पड़ी है। किसान परेशान हैं। सहकारिता विभाग ने किसानों को 24 और 25 अक्टूबर के खरीद के टोकन दिए थे। इस कारण किसान जिंस लेकर खरीद केन्द्र पर पहुंचे तो सन्नाटा छाया हुआ था। किसान किराए पर टै्रक्टर-ट्रॉली में उड़द भरकर लाए थे, इस कारण उन्हें दोहरा नुकसान हो रहा है। मंडी में चार दर्जन से अधिक किसान उड़द लेकर पहुंचे। खरीद बंद होने से मंडी में भी उड़द के दामों में 50 से 100 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई।
भामाशाहमंडी में दो दिन से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उड़द की खरीद बंद पड़ी है। किसान परेशान हैं। सहकारिता विभाग ने किसानों को 24 और 25 अक्टूबर के खरीद के टोकन दिए थे। इस कारण किसान जिंस लेकर खरीद केन्द्र पर पहुंचे तो सन्नाटा छाया हुआ था। किसान किराए पर टै्रक्टर-ट्रॉली में उड़द भरकर लाए थे, इस कारण उन्हें दोहरा नुकसान हो रहा है। मंडी में चार दर्जन से अधिक किसान उड़द लेकर पहुंचे। खरीद बंद होने से मंडी में भी उड़द के दामों में 50 से 100 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई।
Rajasthan Ka Ran : मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को हराने के लिए कांग्रेस ने चली नई चाल… दिवाली कैसे मनाएंगे दिवाली नजदीक आने तथा गेहूं की बुवाई के लिए खाद-बीज का बंदोबस्त करने के लिए किसान उड़द लेकर आ रहे हैं, लेकिन खरीद बंद होने से परेशान हैं। किसानों का कहना था कि अधिकारी अवकाश से नहीं लौटे तो कैसेे दिवाली मनाएंगे। उड़द की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने से उपज औने-पौने दामों में बेचनी पड़ी रही है। इससे चलते कई किसानों के घरों में बच्चों के हाथ कैसे पीले होंगे, कर्ज कैसे उतरेगा। सुल्तानपुर क्षेत्र के कोटड़ापुरा गांव निवासी चेतन व नरेन्द्र कुमार ने बताया कि उनके खेत में 7 से 8 बीघा जमीन पर उड़द की बुवाई हुई। वह कोटा भामाशाहमंडी में बेचने के लिए आए हैं, लेकिन उनकी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं हुई। उन्हें मजबूरी में व्यापारियों के यहां कम दाम में फसल बेचनी पड़ी। इससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी उपज 5200 रुपए बिकती, लेकिन 2800 से 3000 रुपए प्रति क्विंटल ही बिकी।
मतदान केन्द्र पर आधी दुनिया का हिस्सा बढ़ा…मुख्य निर्वाचन अधिकारी आनन्द कुमार ने कहा, पुलिस के साथ महिला मतदान कर्मी की रहेगी निगरानी
धनिए से नहीं उबरे
किसान गोपाल ने बताया कि पिछली बार धनिए में उसे काफी नुकसान हुआ था। उसका कर्ज चुकता नहीं हुआ। इस बार बड़े अरमान से उड़द की फसल बोई थी। उस समय लगता था कि इस बार उपज का दाम अच्छा मिलेगा, लेकिन इस बार भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं हुई और व्यापारियों के यहां औने-पौने दामों में फसल बेचनी पड़ी। इसका नतीजा यह रहा कि मात्र 500 रुपए प्रति क्विंटल की उपज बिक पाई।
यह है कारण
विधायक भवानीसिंह राजावत 25 अक्टूबर को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की उपज खरीद नहीं होने से भामाशाहमंडी गए थे, लेकिन दो घंटे इंतजार के बाद भी सहकारिता विभाग के अधिकारी व कर्मचारी वहां नहीं पहुंचे। बाद में जब उपरजिस्ट्रार अजयसिंह पंवार पहुंचे तो उन्होंने पंवार को गाली-गलौज कर धमका दिया। इसके विरोध में गुरुवार दोपहर बाद सभी अधिकारी व कर्मचारी अचानक अवकाश पर चले गए। इससे उड़द की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ठप हो गई।
धनिए से नहीं उबरे
किसान गोपाल ने बताया कि पिछली बार धनिए में उसे काफी नुकसान हुआ था। उसका कर्ज चुकता नहीं हुआ। इस बार बड़े अरमान से उड़द की फसल बोई थी। उस समय लगता था कि इस बार उपज का दाम अच्छा मिलेगा, लेकिन इस बार भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं हुई और व्यापारियों के यहां औने-पौने दामों में फसल बेचनी पड़ी। इसका नतीजा यह रहा कि मात्र 500 रुपए प्रति क्विंटल की उपज बिक पाई।
यह है कारण
विधायक भवानीसिंह राजावत 25 अक्टूबर को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की उपज खरीद नहीं होने से भामाशाहमंडी गए थे, लेकिन दो घंटे इंतजार के बाद भी सहकारिता विभाग के अधिकारी व कर्मचारी वहां नहीं पहुंचे। बाद में जब उपरजिस्ट्रार अजयसिंह पंवार पहुंचे तो उन्होंने पंवार को गाली-गलौज कर धमका दिया। इसके विरोध में गुरुवार दोपहर बाद सभी अधिकारी व कर्मचारी अचानक अवकाश पर चले गए। इससे उड़द की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ठप हो गई।