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40 गांवों में रोजगार दिलाने के लिए 43 लाख की राशि जारी

राज चौधरी, पठानकोट : अर्ध पहाड़ी क्षेत्र धार के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत सरकार की ओर स

By Edited By: Published: Mon, 28 Nov 2016 08:06 PM (IST)Updated: Mon, 28 Nov 2016 08:06 PM (IST)

राज चौधरी, पठानकोट : अर्ध पहाड़ी क्षेत्र धार के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत सरकार की ओर से 43 लाख रूपए की राशि जारी की गई हैं। ये राशि कुदरती स्रोतों पर निर्भर धार के लोगों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने पर खर्च होगी। दिसम्बर में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत जंगलों से आंवला, जंगली जड़ी बुटियां तथा बांस इत्यादि वस्तुओं को एकत्र कर अपना जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए शेड तैयार करवाई जाएंगी। इसके साथ ही उन्हें मशीनें ला कर दी जाएगी ताकि एक ही जगह पर बैठ कर सेल्फ हेल्प ग्रुपों में काम करने वाले लोग बढि़या तकनीक से मॉल तैयार कर सकें। जारी हुई इस राशि से जंगलों से तोड़ कर लाई गई इस सामग्री की पै¨कग करने तथा इन वस्तुओं को तैयार करने तक के लिए बर्तन एवं अन्य सामग्री मुहैया करवाई जाएगी। लगभग इतनी ही राशि दूसरे तथा तीसरे फेज के लिए आगामी वर्ष आने की संभावना है। जारी हुए इन पैसों से वन विभाग के अधीन काम करने वाली जिला पठानकोट के 11 सेल्फ हेल्प ग्रुपों के लगभग 40 गांवों को लिया गया है। इन ग्रुपों में काम करने वाले सैकड़ों परिवारों के लिए विभाग पांच-पांच गांवों के मध्य प्वाइंट में स्टोरेज गोदाम से लेकर मशीन इत्यादि तक लगाकर देगा। इन ग्रुपों में काम करने वाले लोगों को ट्रे¨नग भी दिलाई जाएगी। ट्रे¨नग के बाद आचार, मुरब्बा, दवाइयों में प्रयोग होने वाली जड़ी बुटियों, टोकरियां तथा अन्य हस्तशिल्प की वस्तुएं तैयार कर इन्हें मार्केट में बेचेंगे। वन अधिकारियों का मानना है कि मिनिस्टरी ऑफ आयुष तथा मेडिसनल प्लांट बोर्ड के तहत जारी हुई इस राशि के तहत सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट के तहत धनराशि जारी करने का एक बड़ा कारण पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले इन लोगों को मार्केट में होने वाले शोषण से बचाना तथा आर्थिक रूप से मजबूत बनाना भी है। सरकार की ओर से जारी हुए फंड से विभिन्न गांवों के सेंटर प्वाइंट के बीच 11 स्टोरेज गोदाम,11 शैड, शे¨डग मशीनें, जंगलों से लाये गए माल को सुखाने की मशीने, ग्राइ¨डग तथा कटाई की मशीनें, प्रयोग किये जाने वाले बर्तन, माल तोलने के मशीनें, दस्तानें, पै¨कग मैट्ीरियल इत्यादि वस्तुओं की खरीदारी की जाएगी। मालूम हो कि कंडी क्षेत्र के लोग पूरी तरह से कुदरती स्त्रोतों पर निर्भर हैं। ऐसे में लगभग हर साल उनकी फसलें या तो मौसम की मार झेलती है अथवा जंगली सुअरों एवं बंदरों द्वारा तहस-नहस कर दी जाती हैं।

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शोषण से बच सकेंगे किसान

सरकार की ओर से जारी की गई इस राशि से न केवल निर्धन परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत होंगे अपितु मंडीकरण मे खरीददार कम्पनियों के शोषण से भी बच पाएंगे। विभागीय अधिकारियों ने इस योजना के तहत सेल्फ हेल्प ग्रुपों में कंडी क्षेत्र के उन ग्रामीणों को भी साथ लिया है जोकि अपने खेतों में मेडिसनल प्लांट की प्रजातियों को उगाकर आगे इनका मंडीकरण करते हैं। अधिकारियों की माने तो अकसर ही ये लोग जब तैयार की गई वस्तुओं को बेचने मार्केट लाते हैं तो खरीदार कम्पनियां अकसर ही इनकी गुणवत्ता तथा पै¨कग से लेकर अन्य त्रुटियां निकाल इस सामान को अत्यंत सस्ते दामों पर खरीद उनका शोषण करते हैं।

किसानों को देंगे ट्रे¨नग : डीएफओ

डीएफओ गुरूशरण ¨सह के अनुसार इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए आगामी सप्ताह चण्डीगढ़ में वन विभाग के उच्चाधिकारियों की बैठक होगी। वहां से निर्देश मिलने के उपरांत दिसम्बर-2016 के पहले सप्ताह विभाग की ओर से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिये वन विभाग पठानकोट तथा हर्बल हेल्थ रिसर्च कंसोरटियन प्राइवेट लिमिटेड अमृतसर के बीच हुआ समझौता हुआ है। सेल्फ हेल्प ग्रुपों के तहत काम करने वाली कमेटियों के हजारों सदस्यों एवं ग्रामीणों को उनके तैयार माल का उचित दाम दिलाने के लिए ट्रे¨नग दी जाएगी।


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