बनारस को गलियों का शहर कहा जाता है। कुछ गली इतनी संकरी होती है कि वहां पर बाइक लेकर जाना भी संभव नहीं हो पाता। इन गलियों में वर्षों पुराने मकान बने हुए हैं, जिसमे से कई जर्जर हो चुके हैं। एनडीआरएफ ने स्लाइड शो के जरिए दिखाया कि गलियों में आमने-सामने बने इन जर्जर मकानों को एक-दूसरे पर बांस लगा कर गिरने से बचाया गया है। एनडीआरएफ का कहना है कि इन जगहों पर कोई दुर्घटना होती है तो बचाव दल के लिए सबसे बड़ी परेशानी घायलों को निकलना होता है। एम्बुलेंस व बड़ी मशीन पहुंच नहीं सकती है। गली इतनी संकरी है कि गंगा में चल रहे वाटर एम्बुलेंस का भी प्रयोग करना आसान नहीं होता है ऐसे में लोगों को आपदा प्रबंधन की जानकारी होगी तो जान-माल की क्षति को कम कर सकेंगे।
एनडीआरएफ की डीआईजी आलोक कुमार सिंह व कमांडेंट कौशलेन्द्र राय ने बताया कि आने वाले तीन से चार साल में ही वायु प्रदूषण बड़ा खतरा बन कर उभर सकता है ऐसे में लोगों को वायु प्रदूषण के खतरों को जानने, प्रदूषण की स्थिति व बचाव के तरीके को जानना बहुत जरूरी है ऐसे में लोगों के लिए नया केन्द्र बहुत कारगर साबित होगा। यहां पर वायु प्रदूषण की स्थिति के साथ उसका शरीर पर होने वाले प्रभाव की जानकारी मिल जायेगी। ऐसे में लोगों को अपना बचाव करने में आसानी होगी।
पीएम नरेन्द्र मोदी व जापान के पीएम शिंजो आबे की उपस्थिति में काशी-क्योटो पार्टनरसिटी समझौते पर दोनों देश के मेयर ने हस्ताक्षर किया था। इस समझौते के तहत तीन साल तक पांच स्कूलों का चयन किया गया था। इन स्कूल के बच्चों व शिक्षकों को सीड्स एशिया व एनडीआरएफ ने आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया था साथ ही सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिए नागरिक मंच भी विकसित किया गया। परियोजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त प्रतिभागियों की डीआरआर टास्क फोर्स का गठन किया गया। १३ सदस्यीय डीआरआर टास्क फोर्स विभिन्न स्कूलों व समुदाय में जाकर सभी को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दे रही है।