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वाराणसी

अत्याधुनिक सेंटर पर मिलेगी प्रदूषण व प्राकृतिक आपदासे बचाव की जानकारी, काशी-क्योटो पार्टनरसिटी के तहत दी गयी ट्रेनिंग

NDRF, सीड्स एशिया व जापान के सहयोग से पूरी हुई परियोजना, तीन साल में स्कूली बच्चों से लेकर स्थानीय लोगों को मिली ट्रेनिंग

वाराणसीDec 20, 2018 / 07:20 pm

Devesh Singh

NDRF new center inauguration

NDRF new center inauguration

वाराणसी. दुनिया के सबसे प्राचीन शहर में किस तरह की प्राकृतिक आपदा आ सकती है और शहर में वायु प्रदूषण का क्या हाल है इससे क्या नुकसान हो सकता है और बचाव करने के क्या तरीके हैं। इन सारी चीजों की जानकारी अब अत्याधुनिक केन्द्र से मिल सकेगी। काशी-क्योटो पार्टनसिटी के तहत गुरुवार को गिरजा देवी सांस्कृतिक संकुल परिसर स्थित एनडीआरएफ के कैंप में नागरिक आपदा जोखिम न्यूनीकरण गतिविधि प्रोन्नति केन्द्र का उद्घाटन किया गया। जपान के सहयोग से बनाये गये इस केन्द्र में जापानी तकनीक का प्रयोग किया गया।




उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रविन्द्र शाही, जापान एम्बेसी के काजूयीरो कियोस व सीड्स एशिया के डा.राजीव साह ने फीता काट कर नये केन्द्र का उद्घाटन किया। बनारस में अपने तरह के अनोखे इस केन्द्र से एनडीआरएफ की ताकत में बढ़ोतरी होगी। साथ ही लोगों को आपदा के प्रति जागरूक किया जायेगा। नये सेंटर में शहर का मॉडल बनाया गया है और अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए लोगों को बताया जायेगा कि वायु प्रदूषण की स्थिति क्या है इसका शरीर पर कितना नुकसान होता है और बचाव के क्या तरीके हैं। इसके अतिरिक्त फायर स्ट्रिंगविशर के उपयोग की जानकारी देने के साथ घायलों को किस तरह से प्राथमिक उपचार दिया जा सकता है इसकी जानकारी दी जायेगी। सेंटर भी लोगों के लिए खुला रहेगा और यहां पर आकर स्कूली बच्चों से लेकर आम लोग आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग ले सकते हैं।

गलियों के शहर बनारस में आसान नहीं होता है आपदा प्रबंधन
बनारस को गलियों का शहर कहा जाता है। कुछ गली इतनी संकरी होती है कि वहां पर बाइक लेकर जाना भी संभव नहीं हो पाता। इन गलियों में वर्षों पुराने मकान बने हुए हैं, जिसमे से कई जर्जर हो चुके हैं। एनडीआरएफ ने स्लाइड शो के जरिए दिखाया कि गलियों में आमने-सामने बने इन जर्जर मकानों को एक-दूसरे पर बांस लगा कर गिरने से बचाया गया है। एनडीआरएफ का कहना है कि इन जगहों पर कोई दुर्घटना होती है तो बचाव दल के लिए सबसे बड़ी परेशानी घायलों को निकलना होता है। एम्बुलेंस व बड़ी मशीन पहुंच नहीं सकती है। गली इतनी संकरी है कि गंगा में चल रहे वाटर एम्बुलेंस का भी प्रयोग करना आसान नहीं होता है ऐसे में लोगों को आपदा प्रबंधन की जानकारी होगी तो जान-माल की क्षति को कम कर सकेंगे।

वायु प्रदूषण ने बजायी है खतरे की घंटी
एनडीआरएफ की डीआईजी आलोक कुमार सिंह व कमांडेंट कौशलेन्द्र राय ने बताया कि आने वाले तीन से चार साल में ही वायु प्रदूषण बड़ा खतरा बन कर उभर सकता है ऐसे में लोगों को वायु प्रदूषण के खतरों को जानने, प्रदूषण की स्थिति व बचाव के तरीके को जानना बहुत जरूरी है ऐसे में लोगों के लिए नया केन्द्र बहुत कारगर साबित होगा। यहां पर वायु प्रदूषण की स्थिति के साथ उसका शरीर पर होने वाले प्रभाव की जानकारी मिल जायेगी। ऐसे में लोगों को अपना बचाव करने में आसानी होगी।

NDRF ने किया डीआरआर टास्क फोर्स का गठन
पीएम नरेन्द्र मोदी व जापान के पीएम शिंजो आबे की उपस्थिति में काशी-क्योटो पार्टनरसिटी समझौते पर दोनों देश के मेयर ने हस्ताक्षर किया था। इस समझौते के तहत तीन साल तक पांच स्कूलों का चयन किया गया था। इन स्कूल के बच्चों व शिक्षकों को सीड्स एशिया व एनडीआरएफ ने आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया था साथ ही सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिए नागरिक मंच भी विकसित किया गया। परियोजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त प्रतिभागियों की डीआरआर टास्क फोर्स का गठन किया गया। १३ सदस्यीय डीआरआर टास्क फोर्स विभिन्न स्कूलों व समुदाय में जाकर सभी को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दे रही है।

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