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संसदीय चुनाव2014 व यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में सपा व बसपा को करारी शिकस्त मिली थी इसके बाद अनुमान लग रहा था कि दोनों ही नेता सक्रिय होकर नगर निगम चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए सक्रिय होंगे। नगर निगम चुनाव की जीत दोनों दलों के लिए संजीवनी साबित हो सकता है इसके बाद भी सपा व बसपा के वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता नहीं होने से तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं कि यदि किन्हीं कारणों से इस चुनाव में इन दलों को हार का सामना करना पड़ता है तो इमेज पर गलत प्रभाव पड़ेगा। इसके चलते दोनों नेताओं ने चुनाव से दूरी बना ली है।
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नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेता प्रचार में शामिल नहीं हुए है तो उनके पास गुजरात चुनाव की प्राथमिकता है, लेकिन सपा व बसपा के लिए यूपी चुनाव ही सबसे महत्वपूर्ण है इसके बाद भी दोनों नेताओं की निष्क्रियता ने बीजेपी को मतबूत कर दिया है।
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