scriptसंवरने लगा यह भवन तो याद आने लगे पूर्व सीएम अखिलेश यादव | Sampurnanand Sanskrit University Mukhya bhawan Hindi News | Patrika News
वाराणसी

संवरने लगा यह भवन तो याद आने लगे पूर्व सीएम अखिलेश यादव

मुख्य भवन को मिली नयी जिंदगी, जानिए क्या है कहानी

वाराणसीSep 20, 2017 / 01:50 pm

Devesh Singh

Sampurnanand Sanskrit University Mukhya bhawan

Sampurnanand Sanskrit University Mukhya bhawan

वाराणसी. सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक मुख्य भवन अब संवरने लगा है। अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे मुख्य भवन को सपा सरकार के तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने नया जिंदगी दे दी है। मुख्य भवन की मरम्मत हो जाने के बाद सालों तक भवन की चमक बनी रहेगी।
यह भी पढ़े:-पीएम नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम स्थलों पर लगायेे जायेंगे सीसीटीवी, एसपीजी ने संभाली कमान


विश्वविद्यालय परिसर में ग्राथिक शैली से बने मुख्य भवन की स्थिति बहुत खराब हो गयी थी। लाल चींटी व दीमक ने भवन को खोखला कर दिया था और छत का बड़ा हिस्सा ढह गया था। यह माने जाने लगा थ कि अब मुख्य भवन इतिहास बन जायेगा। इसी बीच संसदीय चुनाव २०१४ में रोड शो करने के लिए तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव का हेलीकॉप्टर परिसर के मैदान में उतरा था और उसी समय विश्वविद्यालय प्रशासन ने अखिलेश यादव को मुख्य भवन की दयनीय स्थिति से अवगत कराया था, जिस पर अखिलेश यादव ने मुख्य भवन को बचाने का आश्वासन दिया था। संसदीय चुनाव २०१४ के बाद अखिलेश यादव ने इंटैक संस्था को भवन की मरम्मत के लिए लगभग १२ करोड़ का बजट जारी किया था। यूपी में अब अखिलेश यादव की सरकार नहीं है, लेकिन संवरता हुए मुख्य भवन यह पता रहा है कि पूर्व सीएम के सहयोग से उसे नया जीवन मिल चुका है।
यह भी पढ़े:-फूलपुर संसदीय सीट पर बीजेपी प्रत्याशी को लेकर केशव मौर्या का बड़ा बयान, जानिए किसको मिलेगा टिकट
राष्ट्रपति भवन में लगे पेंट से निखर रही मुख्य भवन की रंगत
मुख्य भवन की छत का एक बड़ा हिस्सा लगा दिया है। पहले की तरह ही छत को लकड़ी से बनाया जा रहा है। खास तरह की लकड़ी में दीमक व सीलन का असर नहीं होता है इसके बाद भी इस पर केमिकल लगाया जा रहा है, जिससे कभी सीलन व दीमक के चलते यह खराब न होने पाये। मुख्य भवन के बाहर खास तरह का पेंट लगाया जा रहा है। राष्ट्रपति भवन में भी यह पेंट लगा है। पेंट लग जाने के बाद दीवार मार्बल से ज्यादा चिकनी हो चुकी है इस पर पानी नहीं टिकेगा, जिसके चलते दीवार के खराब होने की संभावना खत्म हो जायेगी। भवन में चुनार से मंगा कर पत्थर लगाये जा रहे हैं। कार्यदायी संस्था का दावा है कि पहले भी चुनार के पत्थरों का प्रयोग किया गया था अब अब भी किया जा रहा है। पत्थर के रंग में थोड़ा अंतर है, जिसे बाद में मिला दिया जायेगा। भवन की मरम्मत में सीमेंट का प्रयोग नहीं हो रहा है। इसकी जगह चूना व बरी को जलाकर उसमे केमिकल मिलाया जा रहा है इसके बाद ही उसका उपयोग हो रहा है। टेराकोट में कोलकाता से मंगायी मिट्टी लगायी जा रही है। दिसम्बर तक काम को खत्म करने का लक्ष्य है, यदि निर्धारित अवधि तक काम पूरा नहीं होता है तो भी मुख्य भवन फिर से देखने लायक हो जायेगा। पूर्व सीएम अखिलेश यादव का मुख्य भवन बचाने का सपना पूरा हो गया है।
यह भी पढ़े:-पीएम नरेन्द्र मोदी एक साथ देंगे गुजरात व काशी को गिफ्ट
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो