विश्वविद्यालय परिसर में ग्राथिक शैली से बने मुख्य भवन की स्थिति बहुत खराब हो गयी थी। लाल चींटी व दीमक ने भवन को खोखला कर दिया था और छत का बड़ा हिस्सा ढह गया था। यह माने जाने लगा थ कि अब मुख्य भवन इतिहास बन जायेगा। इसी बीच संसदीय चुनाव २०१४ में रोड शो करने के लिए तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव का हेलीकॉप्टर परिसर के मैदान में उतरा था और उसी समय विश्वविद्यालय प्रशासन ने अखिलेश यादव को मुख्य भवन की दयनीय स्थिति से अवगत कराया था, जिस पर अखिलेश यादव ने मुख्य भवन को बचाने का आश्वासन दिया था। संसदीय चुनाव २०१४ के बाद अखिलेश यादव ने इंटैक संस्था को भवन की मरम्मत के लिए लगभग १२ करोड़ का बजट जारी किया था। यूपी में अब अखिलेश यादव की सरकार नहीं है, लेकिन संवरता हुए मुख्य भवन यह पता रहा है कि पूर्व सीएम के सहयोग से उसे नया जीवन मिल चुका है।
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राष्ट्रपति भवन में लगे पेंट से निखर रही मुख्य भवन की रंगत
मुख्य भवन की छत का एक बड़ा हिस्सा लगा दिया है। पहले की तरह ही छत को लकड़ी से बनाया जा रहा है। खास तरह की लकड़ी में दीमक व सीलन का असर नहीं होता है इसके बाद भी इस पर केमिकल लगाया जा रहा है, जिससे कभी सीलन व दीमक के चलते यह खराब न होने पाये। मुख्य भवन के बाहर खास तरह का पेंट लगाया जा रहा है। राष्ट्रपति भवन में भी यह पेंट लगा है। पेंट लग जाने के बाद दीवार मार्बल से ज्यादा चिकनी हो चुकी है इस पर पानी नहीं टिकेगा, जिसके चलते दीवार के खराब होने की संभावना खत्म हो जायेगी। भवन में चुनार से मंगा कर पत्थर लगाये जा रहे हैं। कार्यदायी संस्था का दावा है कि पहले भी चुनार के पत्थरों का प्रयोग किया गया था अब अब भी किया जा रहा है। पत्थर के रंग में थोड़ा अंतर है, जिसे बाद में मिला दिया जायेगा। भवन की मरम्मत में सीमेंट का प्रयोग नहीं हो रहा है। इसकी जगह चूना व बरी को जलाकर उसमे केमिकल मिलाया जा रहा है इसके बाद ही उसका उपयोग हो रहा है। टेराकोट में कोलकाता से मंगायी मिट्टी लगायी जा रही है। दिसम्बर तक काम को खत्म करने का लक्ष्य है, यदि निर्धारित अवधि तक काम पूरा नहीं होता है तो भी मुख्य भवन फिर से देखने लायक हो जायेगा। पूर्व सीएम अखिलेश यादव का मुख्य भवन बचाने का सपना पूरा हो गया है।
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मुख्य भवन की छत का एक बड़ा हिस्सा लगा दिया है। पहले की तरह ही छत को लकड़ी से बनाया जा रहा है। खास तरह की लकड़ी में दीमक व सीलन का असर नहीं होता है इसके बाद भी इस पर केमिकल लगाया जा रहा है, जिससे कभी सीलन व दीमक के चलते यह खराब न होने पाये। मुख्य भवन के बाहर खास तरह का पेंट लगाया जा रहा है। राष्ट्रपति भवन में भी यह पेंट लगा है। पेंट लग जाने के बाद दीवार मार्बल से ज्यादा चिकनी हो चुकी है इस पर पानी नहीं टिकेगा, जिसके चलते दीवार के खराब होने की संभावना खत्म हो जायेगी। भवन में चुनार से मंगा कर पत्थर लगाये जा रहे हैं। कार्यदायी संस्था का दावा है कि पहले भी चुनार के पत्थरों का प्रयोग किया गया था अब अब भी किया जा रहा है। पत्थर के रंग में थोड़ा अंतर है, जिसे बाद में मिला दिया जायेगा। भवन की मरम्मत में सीमेंट का प्रयोग नहीं हो रहा है। इसकी जगह चूना व बरी को जलाकर उसमे केमिकल मिलाया जा रहा है इसके बाद ही उसका उपयोग हो रहा है। टेराकोट में कोलकाता से मंगायी मिट्टी लगायी जा रही है। दिसम्बर तक काम को खत्म करने का लक्ष्य है, यदि निर्धारित अवधि तक काम पूरा नहीं होता है तो भी मुख्य भवन फिर से देखने लायक हो जायेगा। पूर्व सीएम अखिलेश यादव का मुख्य भवन बचाने का सपना पूरा हो गया है।
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