दिल्ली सरकार के फैसले के अनुसार इस साल राजधानी में शराब की नई दुकानें नहीं खुलेंगी। 2016-17 के लिए दिल्ली कैबिनेट द्वारा बुधवार को मंजूर आबकारी नीति में यह भी कहा गया है कि वर्तमान में चालू किसी भी शराब की दुकान को बंद करने या कहीं और शिफ्ट करने का फैसला आम जनता के हाथों में होगा। हालांकि, शॉपिंग मॉल्स में अभी भी शराब की दुकानें खुलनी जारी रहेंगी। दिल्ली कैबिनेट की बैठक के बाद एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘इस साल शराब की कोई भी नई दुकान नहीं खोली जाएगी’। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा,‘एल 7 लाइसेंस निजी दुकानों के लिए होती हैं जो पहले से ही नहीं जारी की जा रही हैं और एल 6 लाइसेंस सराकारी दुकानों के लिए है और सरकार इसे बंद करने जा रही है। इस साल कोई नई दुकान नहीं खुलेगी’। लेकिन, नई नीति के अनुसार शॉपिंग मॉल्स में दुकान खोलने के लिए एल 10 की लाइसेंस दी जा सकेंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘कैबिनेट ने यह भी फैसला किया है कि यदि शराब की किसी दुकान से स्थानीय लोगों, खास कर महिलाओं को परेशानी होती है तो उसे बंद करवाने या कहीं और भेजने का अधिकार उस क्षेत्र में रह रहे लोगों का होगा’। इस फैसले के अनुसार मोहल्ला सभा को निर्णय का अंतिम अधिकार होगा और उस निर्णय को लागू करने के लिए सरकार बाध्य होगी। हाल ही में सरकार ने मोहल्ला सभा को अधिसूचित कर पूरी दिल्ली को 30,000 सभाओं में विभाजित किया है। यदि, किसी मोहल्ला सभा क्षेत्र के 10 फीसद वोटर अपने आस-पास के किसी शराब की दुकान के खिलाफ लिखित शिकायत देते हैं तो मोहल्ला सभा बैठक बुलाएगी। यदि बैठक में 15 फीसद, जिसमें 30 फीसद महिलाएं हों, लोग (वोटर) उपस्थित होते हैं तो सभा का कोरम पूरा माना जाएगा और यदि इस कोरम के दो तिहाई लोगों ने दुकान बंद करने पक्ष में फैसला लिया तो उसे लागू किया जाएगा। दुकान दूसरी जगह भेजने में भी यही प्रक्रिया लागू होगी, वहां की मोहल्ला सभा से मंजूरी लेनी होगी।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘सरकार केवल टैक्स वसूली के लिए शराब दुकान नहीं खोलेगी, लोग तय करेंगे कि दुकान चलनी है कि नहीं और कहां चलनी है, अभी तक इंस्पेक्टर राज था, अब जनता का राज होगा’। सिसोदिया ने कहा कि एल 6 और एल 7 की दुकाने ज्यादातर सड़कों के किनारे, डीडीए मार्केट में चलती हैं इसलिए इनसे सबसे ज्यादा समस्या उत्पन्न होती है और इसे दूर करने के लिए ही ये फैसले लिए गए हैं।

इसके साथ ही सरकार ने शराब की दुकान के समक्ष किसी तरह का हंगामा और गुंडागर्दी न हो इसकी जिम्मेदारी दुकान मालिक और मैनेजर पर डाली है। गौरतलब है कि हाल ही में स्वराज अभियान ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा था कि दिल्ली में आप सरकार के डेढ़ साल के अंदर पचास से ज्यादा शराब की दुकानें खुली हैं और इससे सरकार को राजस्व में काफी इजाफा हुआ।