ईडीएमसी के सफाई कर्मियों की बेमियादी हड़ताल के कारण कूड़े का ढेर लगने के मद्देनजर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा शासित नगर निकायों पर रविवार को निशाना साधते हुए उन पर ‘भारी भ्रष्टाचार’ में लिप्त होने का आरोप लगाया, जबकि आप सरकार ने ईडीएमसी के लिए 119 करोड़ रुपए के नए कोष की घोषणा की। अपने आधिकारिक आवास पर आयोजित पत्रकार सम्मेलन में उपमुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘ नगर निगमों को पहले ही काफी धन दिया जा चुका है, लेकिन मुझे नहीं मालूम कि यह धन कहां खर्च किया जा रहा है। एमसीडी कहती रही है कि दिल्ली सरकार ने उन्हें धन नहीं दिया। इसलिए मैं इस संबंध में कुछ आंकड़े प्रस्तुत कर रहा हूं। साल 2012-13 में कोष के तौर पर 399 करोड़ रुपए दिए गए, 2013-14 में 416 करोड़ और 2014-15 में 441 करोड़ रुपए दिए गए। हमारी सरकार आई और हमने गैर योजनागत मद के तहत 702 करोड़ रुपए जारी किए और 2016-17 में अभी तक हम 609 करोड़ रुपए जारी कर चुके हैं। साथ ही 2015 तक ये धन 60-70 करोड़ रुपए के कर्ज समायोजन के साथ जारी किए गए। लेकिन हमने इस तरह की कटौती के बगैर उन्हें (एमसीडी) यह धन दिया। इसलिए मैं पूछना चाहता हूं कि वह धन कहां गया’। उन्होंने आरोप लगाया, ‘अगर इन धन का इस्तेमाल नहीं किया गया तो क्या नगर निकायों द्वारा भ्रष्टाचार की पाइपलाइन खोली गई है। इसके अलावा, हमने गैर योजनागत मद के तहत ईडीएमसी को 119 करोड़ रुपए का कोष जारी किया और इसका इस्तेमाल वेतन भुगतान में किया जाना चाहिए। यह धन शनिवार को जारी किया गया और जल्द ही यह उस नगर निकाय के पास पहुंच जाना चाहिए।

पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के सफाईकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल का रविवार को तीसरा दिन है जिससे और लक्ष्मीनगर से पटपड़गंज तक कई इलाकों में खुले में कचरा फेंके जाने से यमुना पार का क्षेत्र कूड़ा की समस्या से ग्रस्त हो गया है। आप-एमसीडी की राजनीति ऐसे समय में गर्मा रही है जब इस साल नगर निगम के चुनाव होने हैं। सिसोदिया ने कहा, ‘लोग इन चुनावों में भाजपा नीत एमसीडी को सबक सिखाएंगे। तीन सीटों से इस बार उनका पूरी तरह से सफाया हो जाएगा’। उन्होंने कहा, ‘ सफाई कर्मियों का एमसीडी द्वारा शोषण किया जा रहा है और वे इन नगर निगम चुनावों में इसका पर्दाफाश करेंगे’। सिसोदिया ने यह भी कहा कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक, ‘इन नगर निकायों को केंद्र से करीब 3,552 करोड़ रुपए मिलने चाहिए। अब केंद्र में और नगर स्तर पर भाजपा की सरकार है तो फिर उन्हें (एमसीडी) धन क्यों नहीं मिल रहा है। साथ ही इन नगर निगमों को डीडीए से कर संग्रह करना होता है और यह भी नहीं हुआ’। उन्होंने आरोप लगाया, ‘ये एमसीडी उचित ढंग से कर वसूलने के बजाय अनाधिकृत कलोनियों में भवन योजनाओं को मंजूर करने के भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। यदि वे सही ढंग से कर संग्रह करें तो वे इन कर्मचारियों को उस संग्रह के 10 फीसद से भी तनख्वाह दे सकते हैं। एमसीडी स्वच्छता कर्मचारी यूनियन की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष संजय गहलोत ने कहा, ‘हमें अब भी तीन महीने अक्तूबर-दिसंबर की तनख्वाह, महंगाई भत्ता, बोनस मिलना बाकी है जिसकी वजह से हम अपने बच्चों की स्कूल फीस भरने में असमर्थ हैं और शादियां टाल दी गई हैं। हमारी मांगें माने जाने तक हम यह हड़ताल जारी रखेंगे’।