नई दिल्ली। बुलेट ट्रेन के बारे में आपने सुना होगा, जिसकी रफ्तार पलक झपकते ही नजरों से ओझल हो जाती है। बुलेट ट्रेन चलाने के मामले में भारत भले ही चीन और जापान जैसे देशों से पीछे हो, लेकिन हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट के ट्रायल के मामले में भारत तमाम बड़े देशों से आगे निकल सकता है। इसे तैयार करने वाली कंपनी ने सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने इसे भारत में चलाने के लिए एक प्रस्ताव भी रखा है।
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हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन तकनीक के को-फाउंडर बिबॉप ग्रेस्टा ने ब्लूमबर्ग क्विंट को बताया कंपनी ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने ऑफर लेटर पेश किया है जिसपर जवाब का इंतजार किया जा रहा है। ग्रेस्टा ने कहा हाल ही में उन्होंने गडकरी से मुलाकात की थी और कई दौर की बात के बाद उनके सामने प्रस्ताव पेश किया है। अगर करार हो जाता है तो भारत में जल्द ही इसकी फिजिबिलिटी स्टडी शुरु की जाएगी।
बुलेट ट्रेन से कम आती है लागत
ग्रेस्टा के अनुसार ‘हाइपरलूप’ ट्रेन तैयार करने में बुलेट ट्रेन के मुकाबले लागत भी काफी कम आती है। 1 किलोमीटर बुलेट ट्रेन का नेटवर्क बनाने में तकरीबन 674 करोड़ रुपये की लागत आती है, लेकिन 1 किलोमीटर ‘हाइपरलूप’ ट्रेन का नेटवर्क तैयार करने में तकरीबन 269 करोड़ की लागत आएगी।
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1223 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेगी
एक ‘हाइपरलूप’ पॉड में 6 से 8 लोग सफर कर सकते हैं। यह पॉड 1223 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। फिलहाल मुंबई से पुणे के बीच इसे चलाए जाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। एक अंदाज के मुताबिक अगर मुंबई-पुणे के बीच हाइपरलूट ट्रेन दौड़ती है तो ये सफर महज 25 मिनट का रह जाएगा।
क्या है ‘हाइपरलूप’
ये ‘हाइपरलूप’ है क्या? दरअसल एक ट्यूब के भीतर ‘हाइपरलूप’ को उच्च दबाव और ताप सहने की क्षमता वाले इंकोनेल से बने बेहद पतले स्की पर स्थिर किया जाता है। इस स्की में छिद्रों के जरिये दबाव डालकर हवा भरी जाती है। जिससे कि यह एक एयर कुशन की तरह काम करने लगता है। स्की में लगे चुंबक और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक झटके से ‘हाइपरलूप’ के पॉड को गति दी जाती है। जिससे यह बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा की रफ्तार पकड़ती है।
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