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सीएम योगी पर जातिवाद करने का आरोप लगने के चलते बीजेपी से ब्राह्मण वोटरों की नाराजगी बढऩे लगी। बीजेपी ने इस नाराजगी को दूर करने के लिए डा.महेन्द्रनाथ पांडेय को प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया, लेकिन सफलता नहीं मिली। पिछड़े व दलित जाति के नेता तो बना दिया लेकिन उनकी जाति के लोगों को सरकार बनने का फायदा नहीं मिला। अधिकारियों की तैनाती में इन जाति के लोगों को भी दरकिनार कर दिया गया। स्थिति जब बिगड़ती गयी तो सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कई बार यूपी सरकार पर हमला बोला। अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने जातिगत समीकरण साधने के लिए डीएम व एएसपी की तैनाती करने की मांग की थी लेकिन आरएसएस के दबाव के चलते बीजेपी अधिक परिवर्तन नहीं ला सकी। इसके चलते बीजेपी से उसका जाित समीकरण दूर होकर सपा व बसपा गठबंधन में जाने लगा है। बीजेपी ने फिर से इसी समीकरण को साधने की तैयारी की है और मंत्रिमंडल से लेकर अन्य जगहों पर बदलाव होने वाला है अब देखना है कि बीजेपी की नयी रणनीति उसे कितना फायदा पहुंचाती है इतना तो साफ है कि जिस प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी सत्ता में आयी है उस वोट बैंक को सहेजने में नाकाम साबित हो रही है।
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