प्रदेश की जेलों की हालत बेहद खस्ता है। जिला व सेंट्रल जेल में क्षमता से दो से तीन गुना अधिक कैदी व बंदी रहते हैं। जेल प्रशासन के लिए सबसे बड़ी समस्या बुजुर्ग कैदी होते हैं। जिन कैदियों को आजीवन कारावास मिला है उन्हें आखिरी सांस तक जेल में रहना पड़ता था। ऐसे कैदी जब बुजुर्ग हो जाते हैं तो उनकी देखभाल करना आसान नहीं होता है ऐसे में यूपी सरकार ने आजीवन सजा पाये कैदियों के लिए एक स्थायी नीति बनायी है जिसके तहत ही यह रिहाई होने वाली है।
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स्थायी नीति के अनुसार बुजुर्ग हो चुके कैदी ने 12 या 14 वर्ष (आयु के अनुसार) सजा काटी है तो उसे रिहा किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आजीवन कारावास पाने के दौरान 16 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके कैदियों को भी रिहाई मिल रही है। रिहाई के लिए कुछ खास मानक बनाये गये हैं जो कैदी इन मानकों को पूरा करेंगे। उन्हें ही रिहा किया जायेगा।
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डीआईजी जेल वीसी यादव के अनुसार परिक्षेत्र में सेंट्रल जेल से २६७ कैदियों को रिहा किया जायेगा। जबकि गाजीपुर व भदोही जेल से एक-एक कैदी रिहा होंगे। रिहा होने वाले कैदियों की सूची बना कर भेजी गयी है। संस्तुति मिलते ही उन्हें गणतंत्र दिवस पर रिहा कर दिया जायेगा।
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ऐसे कैदियों को जेल में ही काटनी होगी सजा
शासन की स्थायी नीति में आजीवन कारावास पाये सभी कैदियों को रिहाई देने का आदेश नहीं दिया है। सामूहिक नरसंहार में सजा पाये, पेशेवर हत्यारे, जेल से भागने वाले, आतंकी घटनाओं में लिप्त होने, दूसरे देश के नागरिक, पैरोल मिलने पर अपराध करने वाले कैदियों की रिहाई नहीं होगी। ऐसे कैदियों को जेल में रह कर ही अपनी सजा पूरी करनी होगी।
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