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खादी से तलाशें घर-घर में रोजगार सृजन के उपाय: कलराज मिश्र

खादी का महत्व पहले था आज भी है। बस जरूरत है इस स्वदेशी को आज के युग के अनुकूल बनाने की। इस पर गंभीरता से अमल करना होगा और खादी से रोजगार तलाशने की दिशा में आगे बढऩा होगा।

By Ashish MishraEdited By: Published: Sat, 08 Apr 2017 08:06 PM (IST)Updated: Sat, 08 Apr 2017 09:21 PM (IST)
खादी से तलाशें घर-घर में रोजगार सृजन के उपाय: कलराज मिश्र
खादी से तलाशें घर-घर में रोजगार सृजन के उपाय: कलराज मिश्र

लखनऊ (जेएनएन)। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं उद्यम मंत्री कलराज मिश्र ने कहा कि घर-घर चलने वाले पारंपरिक उद्योग बंद न होने पाएं। बंदी के पीछे क्या कारण हैं उसे देखें और वे कैसे फिर से चल सकते हैं। इसका विस्तृत खाका तैयार कर पेश करें। उन्हेंं अपग्रेड करें। सरकार हर तरह से मदद को तैयार है। यही नहीं गांव-गांव खादी कैसे पहुंचे, इस दिशा में कर्र्मी और संस्थाएं जुट जाएं। खादी का महत्व पहले था आज भी है। बस जरूरत है इस स्वदेशी को आज के युग के अनुकूल बनाने की। इस पर गंभीरता से अमल करना होगा और खादी से रोजगार तलाशने की दिशा में आगे बढऩा होगा।

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'खादी फार नेशन अब खादी फार फैशन भी हो गया है। ग्लोबल बाजार में खादी तेजी के साथ अपना दबदबा बना रही है। इसे युवाओं की खास पसंद बनाना होगा। मंत्री आज खादी कार्यक्रम विकास एवं एमएसएमई अंर्तगत व्यापक रोजगार सृजन पर हो रही चर्चा में भाग ले रहे थे।  उन्होंने कहा कि पहले पारंपरिक तरीकों के चरखों से सूत की कताई होती थी। अब सोलर चरखों से। ये ठीक है कि चरखों की अभी थोड़ी कमी है। पर जल्द ही इसे भी कर लिया जायेगा।

गांव-गांव, घर-घर चरखा चलाने वाले मिल जाएंगे। हमें उन्हें पूनी, सूत, चरखा व आर्थिक मदद दिलानी होगी तभी यह आगे बढ़ सकेगी। उन्होंने कहा कि कुटीर उद्योग के बढ़ावे के साथ ही रोजगार सृजन की दिशा को गति दें। इस दौरान विभिन्न संस्थाओं ने तमाम उद्योगों व कार्यशैली और बढ़ी आय को लेकर प्रेजेंटेशन भी दिया। इसमें बांसुरी बनाना, कुम्हारों द्वारा बनाये जाने वाले बर्तन, पैकेजिंग, कपड़े, मधुमक्खी पालन आदि कार्यों का उल्लेख किया गया।

घर-घर तक पहुंचाएं खादी: पचौरी
विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद सत्यदेव पचौरी ने खादी को स्वाभिमान और स्वावलंबन से जोड़ा। उन्होंने कहा कि वेद युग की ओर ध्यान दिया जाये तो खादी को पहले घर की महिलाएं ही तैयार करती थीं। हम उसे भूलते जा रहे हैं। खादी को घर-घर तक पहुंचाएं। नई पीढ़ी को कैसे इससे जोड़े, इस दिशा में गंभीर पहल करनी होगी। कम पैसा पाकर सूत लाने वाले लोगों के प्रति अच्छा नजरिया रखते हुए हम उसे कम पैसे न दें। हैंडलूम व पावरलूम को गांव-गांव तक ले जाने की ओर ठोस पहल करनी होगी। सभी जुट जाएं तो 2019 तक खादी में हर हाल में बदलाव दिखेगा। रोजगार सृजन होंगे। सरकार हर संभव सहायता दे रही है।

अरे सूर्य वस्त्र विकसित किया...
बिहार नवादा के खनवां से आये भारतीय हरित खादी ग्रामोदय संस्थान के विजय पांडेय, तूलिका झा व अभिषेक ने एसी जैकेट जब मंत्री के सामने रखी, तो कलराज मिश्र ने मुस्कराते हुए कहा सोलर जैकेट...रहने दो विवाद का विषय बन जायेगा। चलिये इसे सूर्य वस्त्र कह देते हैं। आपने इसे विकसित किया...बधाई...। टीम के सदस्यों ने जच्चा-बच्चा की किट दिखायी। इसमें बच्चों की लंगोटी, बच्चों का डाइपर बैग, टमी फिट बच्चों की शर्ट और खासतौर पर कतरन से बने फैशनेबिल इयर रिंग दिखाये तो इस पर भी सराहना मिली।

अब्बा भेज रहे थे सऊदी नहीं गया
बारी आई रुदौली के मो. कादिर की। भेलसर के रहने वाले कादिर ने शुक्रिया कहते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई। कहा कि अब्बा हुजूर कह रहे थे कि सऊदी जाओ और कमाओ। मन नहीं किया। एक साथी ने सरकार की पीएमईजीपी योजना का जिक्र किया। तो बैंकों से संपर्क किया। काफी देर बाद स्कीम को बैंक कर्मियों ने समझा। कुछ लोगों ने मदद की तो मार्च 2015 में 25 लाख रुपए का लोन हो गया। नवंबर से बेकरी में प्रोडक्शन चालू हुआ। आज 70 व्यक्तियों को रोजगार दे रहे हैं। उनकी तनख्वाह भी कम नहीं, 6000 से लेकर 18,000 रुपया तक का माहवारी भुगतान किया जा रहा है। मंत्री कलराज मिश्र उसकी बात सुन अचंभित हो उठे। कहा बेहतर, शाबाशी देते हुए कहा कि मैं स्वयं आऊंगा आपकी बेकरी देखने।

इसी तरह दो दर्जन से अधिक संस्थाओं ने अपने रोजगार सृजन, कामयाबी और आ रही दिक्कतों को मंत्री के समक्ष रखा। श्री मिश्र ने उन्हें आश्वस्त किया। इस दौरान खादी कार्यक्रम विकास एवं, एमएसएमई समेत केंद्र सरकार की ओर से दी जा रही सहायता एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उत्तर प्रदेश में खादी उद्योग, ग्रामीण उद्योग, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, निधि योजना, खादी कारीगरों के लिए वर्कशेड योजना, खादी कारीगरों के लिए आम आदमी बीमा योजना, विपणन विकास सहायता आदि योजनाओं का जिक्र किया गया। बैठक में उत्पादन, बिक्री, रोजगार सृजन को लेकर आंकड़े प्रस्तुत किए। आंकड़ों का लेखा-जोखा भी मंत्री के सामने पेश किया गया।

कटाक्ष से भी नहीं चूके कलराज
गांधीजी के जिक्र और उनके विचारों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यहां बैठे तमाम लोग ऐसे हैं जो खादी में रमे हुए हैं। गांधीजी के विचारों से ओतप्रोत हैं। जरूरी नहीं कि सभी कांग्रेसी हों। इस पर मंत्री समेत सभी हंस दिए और मेज थपथपाई।  


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