अन्ना ने स्टूडेंट्स से कहा- करोड़पतियों की जयंती नहीं मनाई जाती इसलिए...

6 वर्ष पहले
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कोटा. समाजसेवी अन्ना हजारे शुक्रवार को कोचिंग स्टूडेंट्स के बीच पहुंचे। जवाहर नगर स्थित कोचिंग कैंपस में उन्होंने स्टूडेंट्स को देशभक्ति के साथ-साथ दूसरों की सेवा करने की भी सीख दी। उन्होंने कहा कि खुद के लिए जीने वाला व्यक्ति मरता है, लेकिन जो व्यक्ति देश के लिए मरता है, वह हमेशा जिंदा रहता है। हमारे देश में कभी भी किसी करोड़पति या लखपति की जयंती नहीं मनाई जाती है। मन के विश्वास को कायम रखने के लिए उन्होंने छात्रों को पांच बातों पर अमल करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि अपना आचार-विचार शुद्ध रखो। अपना जीवन निष्कलंक रखो, जीवन में थोड़ा त्याग करना सीखो और अपमान को पीना सीखो। उन्होंने कहा कि उनका जीवन निष्कलंक रहा। इस कारण से भ्रष्टाचार के मामले में 6 कैबिनेट मंत्रियों व 400 से अधिक अधिकारियों को घर भेज दिया। लोग अपमानित करते रहे, लेकिन वह चुप रहे। शब्दों से उत्तर देने की जगह करके दिखाया।

 

क्लासरूम में जाकर स्टूडेंट्स से मिले

अन्ना हजारे कोचिंग क्लासरूम में जाकर मेडिकल डिविजन के स्टूडेंट्स से भी मिले। उन्होंने कोटा   को मिनी इंडिया बताते हुए कहा कि कोटा बड़ी संख्या में डॉक्टर व इंजीनियर देश को दे रहा है। मेडिकल स्टूडेंट्स ने कहा कि अच्छा डॉक्टर बनना और कभी भी इंसानियत मत भूलना। सेवा के लिए इस प्रोफेशन में काम करना।

 

ऐसा स्कूल चलाते हैं जहां फेल बच्चों को ही एडमिशन देते हैं

अन्ना ने कहा कि समाजसेवा के कारण शादी नहीं की। शादी करता तो चूल्हा जलाने तक ही सीमित रहता। इसका मतलब यह नहीं कि आप भी शादी नहीं करें। आप परिवार को बढ़ाएं, लेकिन देश के सेवा के लिए समय जरूर निकालें। मंदिर में रहता हूं, सोने का बिस्तर और एक प्लेट के अलावा कुछ नहीं है। अब तक करोड़ों रुपए इनाम के रूप में मिले। एक ट्रस्ट बनाकर सारे पैसे उसमें दे दिए। इससे आने वाले ब्याज की राशि से भी समाजसेवा की जाती है। वे अपने गांव में ऐसा स्कूल चलाते हैं, जहां पर फेल होने वालों को एडमिशन दिया जाता है। तीन बार फेल होने वाले को प्रायरिटी दी जाती है। ऐसे स्टूडेंट्स का 10वीं में रिजल्ट 100 व 12वीं में 97 प्रतिशत रहा। आंदोलनों के जरिए शराब व तंबाकू बंद करवाई।

 

सेवा में ही स्थाई आनंद मिलता है
अन्ना ने कहा कि युवावस्था में उन्होंने जीवन समाप्त करने की सोच ली थी। इसी समय उनको स्वामी विवेकानंद की किताब मिली। किताब को पढ़ना शुरू किया। किताब से समझ में आया कि मानव जीवन सेवा के लिए है। उन्होंने कहा कि आज 80 साल का होने के बाद इतने काम के पीछे लोग मेरी ऊर्जा का रहस्य जानना चाहते हैं। अन्ना ने कहा कि सेवा से उनको ऊर्जा मिलती है। सेवा में ही स्थाई आनंद मिलता है। बाकी सभी आनंद अस्थाई होते हैं। अन्ना ने कहा कि अगर सेवा करते हुए उनकी मृत्यु भी हो गई तो वह खुद को सौभाग्यशाली मानेंगे।


शहीदों को कभी मत भूलना
एक स्टूडेंट ने पूछा कि नेता आश्वासन देते हैं, करते कुछ नहीं। अन्ना ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि अंग्रेज पराए थे, उनको खदेड़ दिया। नेताओं को   कहां खदेड़ें। चुनाव में चाबी घुमाकर उनको खदेड़ सकते हैं। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि शहीदों के बलिदान को कभी नहीं भूलना। साल 1857 से लेकर 1947 तक कई वीरों व देशभक्तों ने अपनी जान दी है।

 

 

... और ये बोले अन्ना

 

- मेरी बातों काे याद रखना भूलना नहीं। देश, गांव व समाज की सेवा करो। निष्काम भाव से सेवा करो।
- मन बुरे काम करवाता है। इसलिए मन पर लगाम लगाना सीखो।
- डॉक्टर या इंजीनियर बनकर देश की सेवा जरूर करना।
- ज्यादा पैसा आने पर लोगों की मदद करना। युवा ठान लें तो देश बदल सकता है।

 

 

 

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