झूठी शिकायत के आधार पर पुलिस ने दर्ज की गलत एफआईआर 

पिंपरी। समाचार ऑनलाइन

आदित्य बिर्ला हॉस्पिटल प्रबंधन का आरोप

गरीबी रेखा तले मरीज का इलाज करने से मना कर बिल के लिए बुजुर्ग मरीज को कैद कर रखने और उसे मिलने से रोकने के लिए परिजनों के साथ धक्कामुक्की करने को लेकर चिंचवड़ के आदित्य बिर्ला हॉस्पिटल प्रबंधन के खिलाफ वाकड पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन ने पहली बार एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये अपना पक्ष रखा और आरोप लगाया कि, मरीज के परिजनों द्वारा दी गई झूठी शिकायत के आधार पर पुलिस ने हॉस्पिटल प्रबंधन के खिलाफ गलत एफआईआर दर्ज की है।

 

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इसके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई को लेकर प्रबंधन की लीगल टीम कार्यरत है, यह जानकारी हॉस्पिटल की सीईओ रेखा दुबे ने दी। हम सालाना 3 करोड़ रुपये की इंडिजेंट पेशेंट फंड के तहत प्रदान की गई सेवा के अलावा कुल मिलाकर सालाना औसतन तीन करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं, यह दावा भी उन्होंने किया।

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दुबे ने मीडिया के समक्ष मरीज दशरथ शिवाजी आर्डे से संबंधित सभी तथ्यात्मक विवरणों को पेश करते हुए मरीज़ के हॉस्पिटल में भर्ती होने से लेकर छुट्टी दिए जाने तक के पूरे घटनाक्रम को बयान किया। मरीज के पुत्र सागर दशरथ आर्डे एनसेक ह्यूमन रिसोर्स नामक ईएसआईसी की सुविधा वाली कंपनी के अधिनियम के तहत पंजीकृत कंपनी में काम करते हैं।

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उनकी पत्नी मनीषा, पुत्री वेदिका, प्रीती और पिता दशरथ आर्डे सभी ईएसआईसी योजना के तहत पूर्णतः सेवाओं एवं सुरक्षा के पात्र हैं। वे किसी भी तरह से गरीबी रेखा तले वाली श्रेणी में नहीं आते। इसके बावजूद उनका आइपीएफ के तहत मुफ्त इलाज का दावा और मांग दोनों भी गलत है। सागर आर्डे और उनके साथ आये तथाकथित सामाजिक कार्यकर्त्ता अजीज शेख का उस श्रेणी के अंतर्गत उन्हें शामिल किए जाने का दावा पूरी तरह झूठा है। उन दोनों और कुछ अन्य लोगों द्वारा का उग्रतापूर्ण व्यवहार पूरी तरह से आधारहीन हैं।

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अस्पताल और उसके कर्मचारियों के खिलाफ लगाये गए आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं। उनके पीले राशन कार्ड की एक प्रति मिली है। जब सागर दशरथ आर्डे पहले से ही ईएसआईसी योजना में पंजीकृत हैं और उनके पिता को भी उसमे शामिल किया गया हैं तो उनका नाम पीले रंग के राशन कार्ड में कैसे शामिल किया जा सकता है, जो कि गरीबी रेखा से नीचे वालों के लिए है। यह एक तरह से धोखाधड़ी और जालसाजी है।

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रेखा दुबे ने आरोप लगाया कि अस्पताल की प्रतिष्ठा को हानि पहुँचाने के गलत इरादे से उन्होंने शिकायत दर्ज करवाई है। हम इस बात से सचमुच हैरान हैं कि आर्डे कैसे पीले राशन कार्ड के फ़ायदे ले रहे हैं जबकि वे इसके योग्य ही नहीं है। कैसे आईजीएफ योजना के लाभ प्राप्त करने के लिए अजीज शेख आर्डे चैरिटी आयुक्त के कार्यालय तक पहुँच गए, जबकि वे और उनके आश्रित को ईएसआईसी योजना के तहत पूरी तरह से सुरक्षा और सेवायें प्रदान की जा रही हैं। कैसे वे अस्पताल प्रबंधन के के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज करने के लिए पुलिस के पास चले गए हैं, यह अनुचित है।