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राजा भैया ने राजनीति में मास्ट्रर स्ट्रोक खेलते हुए नयी पार्टी बनायी है। पूर्वांचल में क्षत्रियों के बड़े नेता माने जाने वाले राजा भैया ने भविष्य की राजनीति को देखते हुए ही इतना बड़ा कदम उठाया है। एससी/एसटी एक्ट को लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लाये गये अध्यादेश के चलते राजा भैया का बीजेपी में जाने नुकसानदायक साबित हो सकता था। बीजेपी से सर्वण वोटर नाराज चल रहे हैं लेकिन वह राहुल गांधी के साथ जाने की बजाये नोटा पर वोट देने का सोशल मीडिया में प्रचार कर रहे हैं। अखिलेश यादव व मायावती का गठबंधन होता है तो राजा भैया के भाई अक्षय प्रताप सिंह को इस गठबंधन से टिकट मिलना बेहद कठिन है। बीजेपी की सहयोगी पार्टी अनुप्रिया पटेल के पास प्रतापगढ़ सीट है इसलिए बीजेपी इस सीट पर अक्षय प्रताप सिंह को प्रत्याशी नहीं बना सकती है। कांग्रेस की स्थिति खराब है और कांग्रेस से टिकट लेकर चुनाव जीतना आसान नहीं है। यह वह समीकरण है जिनके चलते राजा भैया को नयी पार्टी बनानी पड़ रही है। राजा भैया अपनी पार्टी से बीजेपी से नाराज सर्वण वोट को जोड़ सकते हैं। अक्षय प्रताप सिंह को चुनाव लडऩे के लिए किसी दल की जरूरत नहीं होगी। इस चुनाव को जीतने में पर्दे के पीछे से बीजेपी से मदद भी मिल सकती है। राजा भैया ने बड़ा दांव खेला है उसका क्या परिणाम आता है यह तो समय ही बतायेगा। इतना तो साफ हो गया है कि राजा भैया की नयी पार्टी बनाने के बाद से बाहुबली विधायक के प्रभाव वाले क्षेत्र में महागठबंधन की राह आसान नहीं रह जायेगी।
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