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कोटा

इस कॉलेज में सालों बाद भी शिक्षा और शिक्षकों का नहीं है कोई ठिकाना

कोटा के सबसे पुराने कॉलेज जेडीबी के बंटवारे के तीन साल बाद भी बेटियों के लिए ठिकाना नहीं तलाश पाई है।

कोटाJun 29, 2018 / 02:47 pm

shailendra tiwari

jdb

इस कॉलेज में सालों बाद भी शिक्षा और शिक्षकों का नहीं है कोई ठिकाना

कोटा. राज्य सरकार एक तरफ ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा बुलंद कर रही, वहीं दूसरी ओर कोटा के सबसे पुराने कॉलेज जेडीबी के बंटवारे के तीन साल बाद भी बेटियों के लिए ठिकाना नहीं तलाश पाई है। कॉलेज आज भी एक-दो कमरों में ही संचालित हो रहे।
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बड़ी बात यह कि सरकार तीन साल में बेटियों को पढ़ाने के लिए शिक्षक भी उपलब्ध नहीं करा पाई है। कई कक्षाएं गेस्ट फैकल्टी, संविदाकर्मी व डेपुटेशन के जुगाड़ से ही चल रही हैं।

तीन साल पहले यह थी स्थिति
तीन साल पहले तक शहर का सबसे पुराना यह कॉलेज शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों से भरा था। कमरे भी पर्याप्त थे। बैठने के लिए काफी जगह मिल जाती थी। कॉलेज का संचालन अच्छा होता था, लेकिन सरकार ने 2016 में इसे राजकीय कन्या विज्ञान, वाणिज्य व कला कॉलेज के रूप में तीन भागों में बांट दिया था।
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उम्मीद तो यह थी कि अलग होने से पढ़ाई का और अच्छा माहौल बनेगा, प्रशासनिक नियंत्रण बेहतरी से गुणवत्ता और अच्छी होगी लेकिन हुआ इसके विपरीत। अब तीनों कॉलेजों में पर्याप्त शिक्षक भी नहीं हैं। कई पद तो बंटवारे के बाद से ही खाली हैं। छात्राएं पर्याप्त शिक्षकों के लिए कई बार आंदोलन कर चुकी हैं।

बंटवारे के बाद से तीनों के कॉलेज एक ही भवन में संचालित किए जा रहे हैं। इनके लिए जगह भी चिन्हित कर दी गई, लेकिन निर्माण अभी तक नहीं हुआ। स्थिति यह कि छात्राओं के लिए बैठने की पर्याप्त जगह भी नहीं है। कन्या विज्ञान व वाणिज्य में वर्तमान में 2-2 हजार व कला कॉलेज में साढ़े पांच हजार छात्राएं अध्ययनरत हैं।
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तीनों कॉलेजों में विषय व्याख्याता छोड़ पीटीआई व पुस्तकालयाध्यक्ष तक नहीं हैं। साइंस कॉलेज में 2010 से पीटीआई नहीं है। 2014 से पुस्तकालय अध्यक्ष भी नहीं। कन्या कॉमर्स में पुस्तकालय, शारीरिक शिक्षक, कार्यालय सहायक, सूचना सहायक, कनिष्ठ लिपिक नहीं हैं।
कन्या कला कॉलेज में पीटीआई, पुस्तकालय अध्यक्ष, प्रयोगशाला सहायक, लिपिक ग्रेड द्वितीय, सहायक लेखाधिकारी द्वितीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक नहीं हैं।


कार्यवाहक प्राचार्य के भरोसे कॉलेज
कन्या कॉमर्स कॉलेज में मई में प्राचार्य डॉ. सुषमा आहूजा के सेवानिवृत्त होने के बाद से ही प्राचार्य नहीं है, यहां कार्यवाहक लीला मोदी हैं।
इनका यह अनिता गुप्ता,

रीटा गुलाटी, कन्या साइंस कॉलेज के प्राचार्य का कहना है की कॉलेज में हर दो माह में होने वाली वीसी के माध्यम से उच्चाधिकारियों को खाली पदों के बारे में अवगत कराते हैं। सिर्फ आश्वासन मिले।

अनिता गुप्ता, प्राचार्य, कन्या कला कॉलेज का कहना है की कॉलेज शिक्षा जयपुर के संयुक्त निदेशक को खाली पदों के बारे में हर साल जानकारी भेज रहे हैं, लेकिन पदों को भरने का काम नहीं किया जा रहा है।


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