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शिवपाल यादव ने अपने मोर्चा के लिए मुस्लिम व यादव वोटरों को जोडऩा शुरू कर दिया है। राहुल गांधी, अखिलेश यादव व मायावती के संभावित गठबंधन की भी निगाहे मुस्लिम वोट बैंक पर टिकी हुई है। बीजेपी जानती है कि यदि तीन तलाक पर उसे मुस्लिम महिलाओं का साथ मिला तो ठीक है नहीं तो अन्य मुस्लिम वोटर किसी भी हाल में बीजेपी के साथ जाने वाले नहीं है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के सक्रिय होने से शिवपाल यादव की परेशानी बढ़ गयी है। शिवपाल यादव जानते थे कि जो मुस्लिम वोटर महागठबंधन की तरफ नहीं जायेगा। वह समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के साथ आ सकता है लेकिन अब ऐसा होना कठिन हो जायेगा। इसकी वजह एआईएमआईएम का सक्रिय होना है। शिवपाल यादव के वोट जितना कम होगे। उतना ही अखिलेश व मायावती को लाभ होगा।
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एआईएमआईएम भी महागठबंधन का साथ चाहती है। प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली महुली ने साफ कर दिया है कि यदि महागठबंधन से उन्हें आमंत्रण मिलता है तो पार्टी इस पर गंभीरता से विचार करेगी। इशारा साफ है कि एआईएमआईम की महागठबंधन में शामिल होने में दिलचस्पी भी है यदि एआईएमआईएम भी महागठबंधन में चली जाती है तो शिवपाल यादव के लिए वोट जुटाना कठिन हो जायेगा। शिवपाल यादव के साथ बीजेपी को भी परेशानी बढऩी तय है।
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