कैलाश हाॅस्पिटल के माइक्रोवैस्क्यूलर सर्जरी ने लौटाई पंकज की बांह

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घटना बीते 16 मई की है, जब पंकज अपने गांव-सेखूपुरा, सहारनपुर में अपने खेत में थ्रेशर मशीन पर काम कर रहा था तभी अचानक पंकज की दाहिनी बाँह थ्रेशर मशीन में फंस कर बुरी तरह कुचल गई। पंकज के दाहिने बाजू की दोनों हडिड्यां फ्रेक्चर हो गई थी, मांसपेशियां तथा त्वचा कुचली गई थी व खून की नाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा था जिससे पंकज के बाजू तथा हाथ में खून पहुंचना बंद हो गया था और उसके दांयें बाजू के कोहनी के कटने का खतरा पैदा हो गया था।

पंकज को सहारनपुर में डाॅक्टर्स ने जांच के बाद बताया कि बाँह में रूका खून की वजह से बाँह काटनी पड़ सकती है। पंकज के परिजनों ने उसे दिल्ली या चंडीगढ़ ले जाने की सलाह दी, लेकिन पंकज ने देहरादून अाने का फैसला किया। देहरादून में काफी जगह से मना होने के बाद अंततः कैलाश अस्पताल में पंकज को डाॅ. सचिन तेवतिया(चिकित्सा अधीक्षक, कैलाश हाॅस्पिटल) के मार्गदर्शन में ट्रामा टीम जिसमें कि सीनियर आॅर्थोपेडिक डाॅ. विनीत त्यागी, सीनियर प्लास्टिक सर्जन डाॅ. हरीश घिल्डियाल एवं चीफ इन्ट्रास्विस्ट डाॅ. संजीव निवारगी द्वारा देखा गया।

पंकज केा तुरंत आॅपरेशन थिएटर भेजा गया जहां उसकी बाँह की टूटी हडिड्यों की नेलिंग की गई तथा उसके बांह की चोटिल खून की नाड़ी को माइक्रोवैस्कुलर तकनीक द्वारा ठीक कर बाजू तथा हाथ में खून का दौरा दोबारा शुरू किया गया। इस इमरजेंसी सर्जरी द्वारा पंकज की बाँह की कई महत्वपूर्ण संरचनाएं बिना किसी मजबूत आवरण के खुली पड़ी थी जिनको तत्पश्चात् माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी तकनीक से शरीर के किसी भाग से उतकों को स्थानांतरित करना अनिवार्य था।

डाॅ. हरीश घिल्डियाल ने 20 मई को 12 घंटे चले माइक्रोवैस्कुलर ऊतक स्थानांतरण सर्जरी को सफल अंजाम दिया। इस सर्जरी में पंकज की पीठ की एक मांसपेशी को उसकी खून की सूक्ष्म नाड़ियों को पंकज की बांह की सूक्ष्म नाड़ियों के साथ माइक्रोस्कोप की मदद से स्थानांतरित किया। 31 मई को पंकज की बाजू पर स्किन ग्राफटिंग का सफल आॅपरेशन किया गया। पंकज की सभी पुनर्रचना संबंधी सर्जरियां सफल रही तथा वह तेजी से सामान्य हो रहा है।