scriptमीलिए इस डॉक्टर से अब तक 634 लाेगाें काे दिलवा चुके हैं नई आंखे, जानिए कैसे | This Doctor has blessed Eyes to 634 people | Patrika News
सहारनपुर

मीलिए इस डॉक्टर से अब तक 634 लाेगाें काे दिलवा चुके हैं नई आंखे, जानिए कैसे

सहारनपु के रहने वाले डॉ. अशाेक जैन अभी तक 634 अँधे लाेगाें काे यह खूबसूरत दुनिया दिखा चुके हैं। साईकिल पर इन्हाेंने दर्जनभर से अधिक देशाें की यात्रा की है।

सहारनपुरNov 10, 2018 / 11:32 pm

shivmani tyagi

saharanpur news

ashok jain

शिवमणि त्यागी/ सहारनपुर।

”जीना है ताे उसी का जिसने ये राज जाना, है काम आदमी का आेराे के काम आना”

हिंदी फिल्म का यह गीत आपने भी सुना हाेगा आैर गुनगुनाया भी हाेगा लेकिन आज हम आपकी मुलाकात एक एेसी शख्सियत से कराने जा रहे हैं जिन्हाेंने अपना पूरा जीवन उन लाेगाें की सेवा में लगा दिया जाे इस खूबसरत दुनिया काे देख नहीं सकते। सहारनपुर के यह डॉक्टर अभी तक एेसे 634 से अधिक लाेगाें की राेशनी दिला चुके हैं।
हम बात कर रहे हैं सहारनपुर के रहने वाले डॉक्टर अशाेक कुमार जैन की। 21 अप्रैल 1950 काे जन्में डॉक्टर अशाेक कुमार जैन ब तक 634 अंधे लाेगाें काे राेशनी दिला चुके हैं। लाेग मरने के बाद अपनी आंखाें का कॉर्निया दान करें इसके लिए कई देशाें में साईकिल यात्रा करके लाेगाें काे जागरूक कर चुके हैं। वर्तमान में सहारनपुर के जनता राेड स्थित प्रीत विहार कालाेनी में रहने वाले डॉक्टर अशाेक कुमार ने साईकिल से अपनी यह यात्रा शुरू की थी जाे आज भी बाइक पर जारी है। ताे आईए बात करते हैं डॉक्टर अशाेक कुमार जैन से।
प्रश्नः अशाेक जी अभी तक आप कितने लाेगाें की अँधेरी दुनिया में उजियारा कर चुके हैं।

उत्तरः अब तक करीब 634 लाेगाें काे हमारा निकाला हुआ कॉर्निया लगाया जा चुका है। एक आदमी मरने के बाद दाे लाेगाें की जीवन में राेशनी भर सकता है आैर एक आदमी के निकालें गए कॉर्नियां दाे लाेगाें काे लग जाते हैँ।
प्रश्नः आप कब से यह काम कर रहे हैं

उत्तरः मेरे लिए यह काम ईश्वर की प्रार्थना करने जैसा है। मैने इस कार्य काे 1972 में पंजाब से शुरू किया था तब से मेरी यह यात्रा जारी है।
प्रश्नः ताे यह प्रेरणा आपकाे कहां से मिली

उत्तरः मैं बॉक्शिंग चैंपियन था। एक बार खेलते हुए मेरी आंख में चाेट लग गई थी। यह चाेट इतनी गंभीर थी कि मेरी आँखाें की राेशनी चली गई। मैं कई महीनाें तक सिर्फ एक ही रंग जानता था आैर वह था ”काला” रंग। तब मुझे कई महीनाें बाद किसी दानवीर का कॉर्नियां दिया गया। वह दिन मेरे लिए एक नए जीवन जैसा था। उस दाैरान मुझे लगा कि इससे बड़ा पुण्य का काम इस दुनिया में काेई नहीं हाे सकता। तभी मैने ठान लिया कि जितने लाेग इस दुनिया में अंधे हैं उनके लिए जीवन भर कॉर्निया इकट्ठा करुंगा।
प्रश्नः आपके काम में किस तरह की कठिनाईयां रहती हैं

उत्तरः सबसे अधिक कठिनाई जागरूकता की है। आज भी एेसे परिवाराें की कमी हैं जाे मरने के बाद बाद अपने परिवार के सदस्याें का कॉर्निया दान कर दें। इसके लिए सबसे बड़ा चैलेंज जागरूकता है।
प्रश्नः आपने कहा सबसे बड़ा चैलेंज जागरूकता है ताे इस चैलेंज काे आपने कैसे स्वीकार किया

उत्तरः जब मुझे कॉर्निया लगा ताे उस समय मैने सबसे पहले इसी चैलेंज काे स्वीकार किया। मैने साईकिल से कई देशाें की यात्रा की। उस दाैरान मैने थाईलैंड, टर्की, स्पेन, अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया, कनाडा समेत कई अन्य देशाें में 1972 से 1981 तक साईकिल से 1 लाख 86 हजार किलाेमीटर का सफर तय किया आैर लाेगाें काे इस दुनिया से जाते वक्त अपनी आखें (कॉर्निया) दान करने के लिए जागरूक किया। इस यात्रा के बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आए आैर लाेगाें ने आंखे दान करने में रूचि दिखाई।
प्रश्नः मरने के कितने घंटे बाद तक आँखे यानि कॉर्निया दान किया जा सकता है

उत्तरः मृत्यु के बाद छह घंटे तक आंखाे का कॉर्नियां निकाला जा सकता है। निकालने के बाद कॉर्नियां काे चार दिन तक पिजर्व किया जा सकता है लेकिन देशभर में आंखाें की इतनी मांग हैं कि काेई भी कॉर्नियां निकलने के बाद 24 घंटे में किसी अँधे व्यक्ति काे लगा किया जाता है। इससे अधिक अवधि तक काे भी कॉर्निया नहीं बचता।
प्रश्नः कॉर्निया निकालने से क्या आदमी का चेहरा बदल जाता है

उत्तरः जी नहीं एेसा बिल्कुल नहीं है, अब नई तकनीक आ गई है। हम आंखाें काे बाहर से काेई नुकसान नहीं पहुंचाते। कॉर्निया निकालने के बाद चेहरे पर काेई बदलाव नहीं हाेता आैर चेहरा बिल्कुल पहले जैसा ही रहता है। कॉर्निया निकालने में करीब 45 मिटन का समय लगता है। इसमें आंधा घंटा तैयारी में लगता है आैर करीब 15 मिनट में कॉर्निया निकाल लिया जाता है।
प्रश्नः अगर किसी काे कॉर्निया दान करना हाे ताे कहां कॉल करें

उत्तरः इसके लिए अलग-अलग राज्य आैर शहराें में अलग-अलग नंबर हाेते हैं। सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, अंबाला, यमुनानगर, हरिद्वार, रुड़की, शामली, देहरादून के लाेग उन्हे राेशनी आई बैंक के नबर 9359200744 पर कॉल कर सकते हैं।
प्रश्नः किन-किन की आंखे नहीं ली जा सकती

उत्तरः एेसे लाेग जिन्हे हेपेटाईटिस हाे, जिनकी मृत्यु जहर खाने से, एड्स से, कैंसर से, कुत्ते के काटने से, सांप के काटने से, जहर से, पानी में डूबने से जलने से या फांसी लगने से हुई ताे उनकी आंखे नहीं ली जा सकती। हाल ही में यह नियम भी आ गया है जिनकी आयु 80 वर्ष से अधिक हाे ताे उनकी आंखे भी नहीं ली जा सकती।
प्रश्नः क्या आप अकेले ही इस कार्य काे करते हैं

उत्तरः मेरी पत्नी कुशुम भी मेरे साथ यही कार्य करती थी। एक दिन जब वह मेरठ मेडिकल कॉलेज में कॉर्निया देकर वापस लाैट रही थी। रास्ते में ट्रैक्टर ट्राली की चपेट में आकर बुरी तरह से घायल हाे गई थी। डॉक्टर काे हाथ आैर पैर काटने पड़े थे जिसके एक महीने बाद पत्नी की माैत हाे गई थी। उस समय पत्नी ने कहा था कि मेरा मिशन अधूरा रह गया लेकिन मैने पत्नी से वादा किया था कि मै इस मिशन काे पूरा करुंगा। अब राेशनी आई बैंक टीम के साथ मैं इस सफर काे लगातार जारी रख रहा हूं।

Home / Saharanpur / मीलिए इस डॉक्टर से अब तक 634 लाेगाें काे दिलवा चुके हैं नई आंखे, जानिए कैसे

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो