मालूम हो कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले से यादव परिवार में पार्टी को लेकर चला आ रहा विवाद अब शायद थमने की ओर है। इसकी वजह पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पीड़ा है। पिछले दिनों अपनी प्रेस कॉन्फेंस में भी मुलायम ने अपनी पीड़ा को बयां किया था। उन्होंने कहा था कि बेटा (अखिलेश यादव) गलत है, पर मेरा आशीर्वाद उसके साथ है। उन्होंने कहा था कि पार्टी के लिए अखिलेश द्वारा लिए गए सभी निर्णय गलत हैं। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का प्रिय नारा रहा है, ‘जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम हैÓ। पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के लड़ाकू तेवरों को इस एक नारे के साथ प्रचारित करने का लंबा दौर रहा। वक्त के साथ हालात बदले और अखिलेश यादव के हाथ में सपा की कमान आ गई तो मुलायम हाशिए पर चले गए।
मालूम हो कि समाजवादी पार्टी के प्रदेश सम्मेलन के बाद मुलायम सिंह यादव ने अपनी प्रेस कॉन्फेंस में जिस प्रकार पुत्र प्रेम दिखाया और कहा कि कुछ दिनों बाद आप मुझे पार्टी अध्यक्ष के रूप में देखेंगे। इससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई थी कि सपा में कुछ तो खिचड़ी पक रही है। इसके बाद यह बात भी सामने आई की मुलायम और अखिलेश में समझौता हो गया है। इसके तहत मुलायम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अखिलेश कार्यकारी अध्यक्ष बन सकते हैं। वहीं, शिवपाल सिंह यादव पार्टी के राष्ट्र्रीय महासचिव बन सकते हैं। इसके बाद एक बार फिर अखिलेश और मुलायम की हुई मुलाकात के बाद पासा पलटा।
सूत्र बताते हैं कि उसी समय तय हो गया था कि पार्टी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही बनेंगे और नेताजी संरक्षक ही रहेंगे। लेकिन मुलायम ने शिवपाल को पार्टी की मुख्यधारा में जोडऩे की शर्त भी रखी। और ऐसा ही हुआ। पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को दूसरी बार अध्यक्ष चुन लिया गया। अब शिवपाल को पार्टी की मुख्यधारा में जोडऩे की बात है। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही इस पर भी अखिलेश मुहर लगा देंगे।