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बस्तर

मोदी के सपने की नपा उड़ा रही धज्जिया, 35 हजार की आबादी है लेकिन एक सुलभ तक नहीं

35 हजार की आबादी वाले नगर में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं, खुले में शौच जाने को मजबूर हैं लोग, सार्वजनिक जगहों पर पसरी है गंदगी।

बस्तरNov 09, 2017 / 09:19 pm

ajay shrivastav

35 हजार की आबादी है लेकिन नहीं है एक भी सुलभ

35 हजार की आबादी है लेकिन नहीं है एक भी सुलभ

35 हजार की आबादी है लेकिन नहीं है एक भी सुलभ
35 हजार की आबादी है लेकिन नहीं है एक भी सुलभ

बचेली. मोदी सरकार शहर से लेकर गांव तक को खुले में शौच मुक्त बनाने प्रयास कर रही है। दूसरी ओर नगरपालिका बड़े बचेली की लापरवाही से लोग खुले में शौच जाने मजबूर है। दरसअल पूरे नगर में एक भी सार्वजनिक शौचालय नही हैं। बाजार स्थल हो या बस स्टैंड सभी जगह लोग खुले में ही शौच करते देखे जा सकते हैं। बाहर से आने वाले लोगों के साथ महिलाओं को भी यहां शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। सार्वजनिक स्थानों में सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को होती है। यहां बस स्टैंड निर्मित एक मात्र सार्वजनिक शौचालय का कभी उपयोग ही नहीं हुआ। इस पर हमेशा ताला लटका देखा जा सकता है। निर्माण के दौरान भ्रष्टाचार की बात सामने आई थी। विवादों के चलते निर्माण रुका हुआ है।

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अस्थाई शौचालय की हो व्यवस्था
लोगो की मांग है कि बाजार, बस स्टैंड सहित कुछ स्थानों में स्थायी अथवा अस्थायी शौचालय बनने चाहिए। इससे लोगों को सुविधा और पालिका क्षेत्र में स्वच्छता बनी रहेगी। विपक्षी पार्षदों का आरोप है कि सत्ता पक्ष के लोग स्वच्छ भारत अभियान को गंभीरता से नही ले रहे हैं। मोबाइल टॉयलेट एक अच्छा विकल्प होता। नगर पालिका शौचालय निर्माण के लिए जगह नहीं होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ रही है।

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जिम्मेदार उदासीन
नगर पालिका प्रतिपक्ष सलीम रजा उस्मानी ने बताया कि सरकार के स्वछ भारत अभियान को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। पालिका के जिम्मेदारों की दासिनता से लोगों की जरूरी मांग के प्रति लापरवाही बरती जा रही है। नगरपालिका अध्यक्ष गौरंग साहा ने बताया कि घरो मे हजारों की संख्या में टायलेट बनाए गए हैं। बस स्टैंड में नवनिर्मित शौचालय तैयार है। कुछ दिनों में इसे खोल दिया जायेगा। सार्वजनिक स्थानों पर जगह की कमी से शौचालय नहीं बनाए गए।

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