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बीएचयू के पूर्व वीसी प्रो.जीसी त्रिपाठी व संघ का संबंध किसी से छिपा नहीं था। पूर्व वीसी ने सार्वजनिक मंच से इस बात को स्वीकार किया था। संघ के आशीर्वाद के चलते ही उन्हें बीएचयू जैसे विश्वविद्यालय के वीसी की कुर्सी मिली थी लेकिन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये। सपा सरकार के समय ही तैनात जिले के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने एक मंत्री के साथ संघ की भी छाया पायी थी और आराम से जिले में काम कर रहे थे। फ्लाईओवर हादसा हो या फिर विकास परियोजना में देरी। पूर्व अधिकारी पर कभी सवाल नहीं उठा था लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 की बात आयी तो पूर्व अधिकारी को जिले से जाना पड़ा। संघ से निकट संबंध होने के चलते एक पूर्व अधिकारी भी बनारस में तैनाती करने में सफल हुए थे। मेयर श्रीमती मृदुला जायसवाल के साथ हुई घटना हो या फिर आम नागरिकों के मन में सुरक्षा का भाव पैदा करना। इन मामलों में अधिक सफलता नहीं मिली थी लेकिन जब समय ने साथ छोड़ा तो संघ भी काम नहीं आया ओर शहर से तबादला हो गया। इन अधिकारियों की जगह महाराष्ट्र व संघ से जुड़े खास लोगों को ही भेजा गया है जबकि यूपी के अन्य जिलों में तैनाती के दौरान इन अधिकारियों ने ऐसी नजीर नहीं पेश की थी जो चर्चा में आने का कारण बनती। संघ की कृपा मिली और पीएम का शहर मिल गया है अब देखना है कि लोकसभा चुनाव 2019 तक बदलाव की यही बयार अन्य विभागों में भी बहेगी या फिर प्रशासन पर पर्दे के पीछे से संघ का हस्तक्षेप बढ़ता ही जायेगा।
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