नई दिल्ली
दिल्ली पुलिस ने पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के बाद खुद को ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार करने की तैयारी शुरू कर दी है। दिल्ली पुलिस अपने कर्मियों के लिए पर्याप्त संख्या में बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदने की तैयारी कर रही है।
दिल्ली पुलिस के पास फिलहाल लगभग 90,000 कर्मी हैं, लेकिन उसके पास केवल 250 बुलेटप्रूफ जैकेट ही हैं। इनमें से आधे जैकेट नई दिल्ली के अति संवेदनशील व उच्च सुरक्षा क्षेत्रों में तैनात पुलिसकर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं। आपातकालीन स्थिति में इन पुलिसकर्मियों के इस्तेमाल से केवल 100 ही जैकेटे बचेंगे। ये जैकेट 10 पुलिस स्टेशनों में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए भी पर्याप्त नहीं हो सकेंगे। जो 250 बुलेटप्रूफ जैकेट फिलहाल दिल्ली पुलिस इस्तेमाल कर रही है, वे काफी भारी हैं। इनमें से हर एक का वजन लगभग 11 किलो है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि लंबे समय तक इन जैकेटों को पहने रहना काफी मुश्किल होता है।
पुलिस के पास फिलहाल जो जैकेटें हैं, उनकी कीमत प्रति जैकेट 40,000 है। नए जैकेटों की खरीद के लिए जल्द ही टेंडर निकाले जाएंगे। एक अधिकारी ने बताया कि इनकी अनुमानित कीमत प्रति जैकेट लगभग 1 लाख रुपये तक होगी। उम्मीद है कि कमांडो समूह के लिए जो नई जैकेटें मंगवाई जाएंगी, उनका वजन 5 किलो से ज्यादा नहीं होगा। वहीं सामान्य पुलिसकर्मियों के लिए इससे भी हल्के वजन की जैकेटें, लगभग ढाई से तीन किलो, मंगवाई जाएंगी। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि एक बुलेटप्रूफ जैकेट बिना बुलेटप्रूफ हेल्मेट के बेकार है।
कमिश्नर बी.एस.बस्सी और विशेष कमिश्नर (कानून व्यवस्था) दीपक मिश्रा ने पुलिस के खरीद विभाग से कहा है कि जैकेटों की खरीद की इस प्रक्रिया को तत्काल प्राथमिकता देकर जल्द-से-जल्द पूरा करे। सूत्रों ने बताया कि संबंधित विभागों ने इस दिशा में जरूरी प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस खरीद के सिलसिले में कई भारतीय व ग्लोबल निर्माताओं से संपर्क में हैं।
बुलेटप्रूफ जैकेटों की कमी या फिर उनकी खराब गुणवत्ता के कारण देश में कई पुलिसकर्मियों मारे जा चुके हैं। 2008 के मुंबई हमले के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे की मौत हो, या फिर बाटला हाऊस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के मोहन चंद्र शर्मा की मौत, दोनों की वजह बुलेटप्रूफ जैकेट ना पहने होना ही थी। 2013 में दिल्ली की एक अदालत ने पुलिसकर्मियों के पास सुविधाओं व आधुनिक उपकरणों की कमी को लेकर चिंता जताई थी। दिल्ली पुलिस अपने वरिष्ठ अधिकारियों व ऐसे कर्मी जो गश्ती, आतंकी हमलों और दंगे जैसी स्थिति में कानून-व्यवस्था बरकरार रखने के लिए नियुक्त किए जाते हैं, के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदने की सोच रही थी।
पुलिसकर्मियों के पास इन जैकेटों की कमी उस समय भी उजागर हुई थी जब दिल्ली के अलीपुर इलाके में 2 बाइक सवार अपराधियों ने एक पुलिसकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी। वरिष्ठ अधिकारियों ने फैसला लिया कि गश्ती की ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी इन जैकेटों को सुरक्षा की दृष्टि से पहनकर रखेंगे, लेकिन जैकेटों को खरीदने का काम नहीं शुरू किया गया था। हालांकि अब पुलिस विभाग इसे बेहद वरीयता देते हुए जल्द-से-जल्द पूरा कर लेने का लक्ष्य बनाकर चल रहा है।
दिल्ली पुलिस ने पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के बाद खुद को ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार करने की तैयारी शुरू कर दी है। दिल्ली पुलिस अपने कर्मियों के लिए पर्याप्त संख्या में बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदने की तैयारी कर रही है।
दिल्ली पुलिस के पास फिलहाल लगभग 90,000 कर्मी हैं, लेकिन उसके पास केवल 250 बुलेटप्रूफ जैकेट ही हैं। इनमें से आधे जैकेट नई दिल्ली के अति संवेदनशील व उच्च सुरक्षा क्षेत्रों में तैनात पुलिसकर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं। आपातकालीन स्थिति में इन पुलिसकर्मियों के इस्तेमाल से केवल 100 ही जैकेटे बचेंगे। ये जैकेट 10 पुलिस स्टेशनों में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए भी पर्याप्त नहीं हो सकेंगे। जो 250 बुलेटप्रूफ जैकेट फिलहाल दिल्ली पुलिस इस्तेमाल कर रही है, वे काफी भारी हैं। इनमें से हर एक का वजन लगभग 11 किलो है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि लंबे समय तक इन जैकेटों को पहने रहना काफी मुश्किल होता है।
पुलिस के पास फिलहाल जो जैकेटें हैं, उनकी कीमत प्रति जैकेट 40,000 है। नए जैकेटों की खरीद के लिए जल्द ही टेंडर निकाले जाएंगे। एक अधिकारी ने बताया कि इनकी अनुमानित कीमत प्रति जैकेट लगभग 1 लाख रुपये तक होगी। उम्मीद है कि कमांडो समूह के लिए जो नई जैकेटें मंगवाई जाएंगी, उनका वजन 5 किलो से ज्यादा नहीं होगा। वहीं सामान्य पुलिसकर्मियों के लिए इससे भी हल्के वजन की जैकेटें, लगभग ढाई से तीन किलो, मंगवाई जाएंगी। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि एक बुलेटप्रूफ जैकेट बिना बुलेटप्रूफ हेल्मेट के बेकार है।
कमिश्नर बी.एस.बस्सी और विशेष कमिश्नर (कानून व्यवस्था) दीपक मिश्रा ने पुलिस के खरीद विभाग से कहा है कि जैकेटों की खरीद की इस प्रक्रिया को तत्काल प्राथमिकता देकर जल्द-से-जल्द पूरा करे। सूत्रों ने बताया कि संबंधित विभागों ने इस दिशा में जरूरी प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस खरीद के सिलसिले में कई भारतीय व ग्लोबल निर्माताओं से संपर्क में हैं।
बुलेटप्रूफ जैकेटों की कमी या फिर उनकी खराब गुणवत्ता के कारण देश में कई पुलिसकर्मियों मारे जा चुके हैं। 2008 के मुंबई हमले के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे की मौत हो, या फिर बाटला हाऊस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के मोहन चंद्र शर्मा की मौत, दोनों की वजह बुलेटप्रूफ जैकेट ना पहने होना ही थी। 2013 में दिल्ली की एक अदालत ने पुलिसकर्मियों के पास सुविधाओं व आधुनिक उपकरणों की कमी को लेकर चिंता जताई थी। दिल्ली पुलिस अपने वरिष्ठ अधिकारियों व ऐसे कर्मी जो गश्ती, आतंकी हमलों और दंगे जैसी स्थिति में कानून-व्यवस्था बरकरार रखने के लिए नियुक्त किए जाते हैं, के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदने की सोच रही थी।
पुलिसकर्मियों के पास इन जैकेटों की कमी उस समय भी उजागर हुई थी जब दिल्ली के अलीपुर इलाके में 2 बाइक सवार अपराधियों ने एक पुलिसकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी। वरिष्ठ अधिकारियों ने फैसला लिया कि गश्ती की ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी इन जैकेटों को सुरक्षा की दृष्टि से पहनकर रखेंगे, लेकिन जैकेटों को खरीदने का काम नहीं शुरू किया गया था। हालांकि अब पुलिस विभाग इसे बेहद वरीयता देते हुए जल्द-से-जल्द पूरा कर लेने का लक्ष्य बनाकर चल रहा है।