भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य (ओडिशा)

अप्रैल 1975 में ओडिशा राज्य सरकार द्वारा कनिका राज के पूर्व-जमींदारी जंगलों को भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया था। भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य भारत के सबसे बड़े मगरमच्छ आवासों में से एक है और एक प्रमुख तटीय पारिस्थितिकी तंत्र है। सन 1998 में इसे अपनी पारिस्थितिकी, जीव,  पुष्प,  भू रूपात्मक और प्राणि एसोसिएशन तथा महत्व एवं सुरक्षा के उद्देश्य के कारण एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।  अगस्त 2002 में इसे दूसरे रामसर साइट (अंतरराष्ट्रीय महत्व की आद्रभूमि) के रूप में नामित किया गया था।

Hemant Singh
Dec 23, 2015, 15:24 IST

अप्रैल 1975 में ओडिशा राज्य सरकार द्वारा कनिका राज के पूर्व-जमींदारी जंगलों को भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया था। सन 1998 में इसे अपनी पारिस्थितिकी, जीव, पुष्प, भू रूपात्मक और प्राणि एसोसिएशन तथा महत्व एवं सुरक्षा के उद्देश्य के कारण एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। अगस्त 2002 में इसे दूसरे रामसर साइट (अंतरराष्ट्रीय महत्व की आद्रभूमि) के रूप में नामित किया गया था।

रामसर साइट: इस क्षेत्र को अगस्त 2002 में दूसरे रामसर साइट (अंतरराष्ट्रीय महत्व की आद्रभूमि) के रूप में नामित किया गया था। यह बहुत बड़ी जैव विविधता के साथ एक अद्वितीय क्षेत्र है जो भूभाग, डेल्टा क्षेत्र के ज्वार जल निकायों, ज्वारनदमुख और उनसे संबद्ध वनस्पतियों तथा जीव के साथ-साथ बंगाल की खाड़ी के जल क्षेत्र जैसे विभिन्न पारिस्थितिकी प्रणालियों को कवर करता है।

बायोस्फीयर रिजर्व (प्रस्तावित): 

  • 3000 वर्ग किमी. को मिलाकर ब्राह्मणी, वैतरणी और धामरा (भीतरकनिका) तथा महानदी डेल्टा क्षेत्र के जलोढ़ निक्षेपों द्वारा गठित प्रस्तावित डेल्टा क्षेत्र भितरकनिका बायोस्फीयर रिजर्व का निर्माण किया गया है। यह डेल्टा क्षेत्र बंगाल की खाड़ी के तटीय क्षेत्र की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति में एक अद्वितीय जैव जलवायु क्षेत्र है। यह ओडिशा राज्य के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित है।
  • प्रस्तावित भितरकनिका बायोस्फीयर रिजर्व में पूर्ववर्ती कनिका और कुजंग जमींदारी क्षेत्र शामिल हैं। वर्तमान में इसमें तीन संरक्षित क्षेत्र अर्थात् भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य, भीतरकणिका राष्ट्रीय उद्यान और गहिरमाथा समुद्री वन्यजीव अभयारण्य भी शामिल हैं।
  • जून 2015 के पहले सप्ताह में भीतरकणिका के मेंग्रोव फॉरेस्ट डिवीजन (एमएफडी) ने यह खुलासा किया कि उड़ीसा के भीतरकनिका वन्यजीव अभयारण्य में सदाबहार वनस्पति के एक बड़े हिस्से में वनों का बहुत बिनाश हो रहा है।
  • भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य, भारत के सबसे बड़े मुंह वाले मगरमच्छ के आवासों में से एक है और एक प्रमुख तटीय पारिस्थितिकी तंत्र है।
  • सदाबहार वन प्रभाग (MFD) के अनुसार, भीतरकणिका वन ब्लॉक में वनोन्मूलन या लवणीय रिक्त संरचनाएं देखी गयी हैं जो 1700 एकड़ में फैली गयी है। यह कहा जाता है कि मथाडिया में देखे गये निरावृत भाग, इस ब्लॉक क्षेत्र में 30 से अधिक एकड़ जमीन पर हो सकते हैं।

वनोन्मूलन के कारण:

भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य के वनोन्मूलन (खाली संरचनाएं) की चिंता के निम्नलिखित कारण हैं:

  • वनस्पतियां सिर्फ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक जीवन रेखा ही नहीं हैं बल्कि उत्कृष्ट वनस्पतियों और जीवों का एक घर भी हैं लेकिन यह भी तटरेखा के लिए एक पर्यावर्णीय कुशन के रूप में कार्य करती हैं।
  • अत्यधिक लवणता के कारण, मौजूदा मृत वनस्पतियों के पतन के बाद भी नयी वनस्पतियों का विकास नही होता है ।
  • अधिकांश सदाबहार प्रजातियों के पास एक लवणता प्रतिरोधक समूह होता है जिसकी सीमा 3 पीपीटी से 35 पीपीटी तक होती है। केवल एवीसेन्निया मरीना प्रजातियां 70 पीपीटी से ज्यादा लवणता बर्दाश्त कर सकते हैं।

इससे पहले भारतीय वन सर्वेक्षण-2013 की रिपोर्ट ने राज्य में वर्ष 2011- में 213 वर्ग किलोमीटर से 222 वर्ग किलोमीटर के नौ वर्ग किमी. में मौजूद वनस्पतियों के पतन पर प्रकाश डाला था। केवल केंद्रपाड़ा जिले में ही (जहां अधिकतर भितरकनिका स्थित है), वहां 4 वर्ग किमी. तक पतन हो चुका था, जबकि भद्रक जिले में यह 3 वर्ग किमी. था।

भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य की मुख्य विशेषताएं

  • इस पारिस्थितिकी तंत्र के अंतर्गत, भारतीय उप-महाद्वीप में खारे पानी के मगरमच्छों की आबादी सबसे अधिक है।
  • भीतरकनिका के प्रसिद्ध गहिरमाथा तट का दुनिया के प्रसिद्ध कछुवा मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान है। जिसे दुनिया में ओलिव रिडले समुद्री कछुओं के सबसे बड़े निवास स्थान और प्रजनन मण्डली होने का गौरव प्राप्त है।

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