भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार को मंगलवार को जमानत मिल गई। विशेष सीबीआइ न्यायाधीश अरविंद कुमार ने एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर कुमार को राहत दी। अदालत ने निर्देश दिया कि कुमार किसी गवाह से संपर्क करने का प्रयास न करें और इस मामले की जांच को प्रभावित न करें। सीबीआइ ने एक निजी कंपनी को 50 करोड़ रुपए से अधिक के सरकारी ठेके दिलाने में फायदा पहुंचाने के मामले में 4 जुलाई को कुमार और चार अन्य को गिरफ्तार किया था।

सीबीआइ ने कुमार के अलावा मुख्यमंत्री कार्यालय के पूर्व उपसचिव तरुण शर्मा, कुमार के कथित करीबी सहयोगी अशोक कुमार और एक पीएसयू के प्रबंध निदेशक आरएस कौशिक को गिरफ्तार किया था। इस मामले में कौशिक के पूर्ववर्ती और सरकारी उपक्रम -इंटेलीजेंट कम्युनिकेशन सिस्टम्स इंडिया लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक जीके नंदा, निजी फर्म एंडिएवर्स सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक दिनेश कुमार गुप्ता और इसके सह मालिक संदीप कुमार को भी गिरफ्तार किया गया है।

गुप्ता, शर्मा, अशोक कुमार और कौशिक ने भी अदालत में जमानत याचिकाएं दायर की हैं। सीबीआइ ने पिछले साल दिसंबर में कुमार व अन्य के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था। सीबीआइ ने कुमार और अन्य पर आरोप लगाया था कि अधिकारी ने पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली सरकार के विभागों की निविदा दिलाने में एक खास कंपनी की मदद करने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया है।

सीबीआइ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) 13 (1) (डी) के तहत आरोप लगाए थे। पांच निविदाएं प्राप्त करने के लिए निजी कंपनी इंडीवर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड का कथित तौर पर समर्थन करने के चलते ये आरोप लगाए गए थे।

1989 बैच के आइएएस अधिकारी कुमार पर सीबीआइ ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने एक आपराधिक साजिश रची और साल 2007 से 2015 के बीच ठेके दिलाकर दिल्ली सरकार को 12 करोड़ रुपए का चूना लगाया।
जांच एजंसी ने दावा किया है कि अधिकारियों ने ठेका देते समय तीन करोड़ रुपए का अनुचित फायदा लिया।