दिल्ली परिवहन निगम की मुश्किलें मंगलवार को तब बढ़ गईं जब अदालत ने उसे राष्ट्रमंडल खेलों के समय बनाए गए मिलेनियम बस डिपो को खाली करने का आदेश दे दिया। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) को 2010 के राष्ट्रमंडल खेल के लिए यमुना के तट पर 60 करोड़ रुपए के खर्च से 50 एकड़ क्षेत्र में बनाए गए इस मिलेनियम बस डिपो को 27 जनवरी तक खाली करने को आदेश दिया गया है।

अदालत ने कहा कि चूंकि डीटीसी को अपनी बसें स्थानांतरित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में चार स्थानों पर उल्लेखनीय भूखंड दिया जा चुका है और चूंकि मिलेनियम डिपो स्थल का भू-उपयोग बदलना संभव नहीं है, इसलिए निगम को अपनी बसें उच्च न्यायालय के एक सितंबर के आदेश के मुताबिक स्थानांतरित करनी होगी।

दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनमोहन ने दिल्ली परिवहन निगम को इस तारीख तक यह स्थान खाली करने का निर्देश दिया। साथ ही स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं करने पर एक फरवरी को निगम के प्रबंध निदेशक को व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ेगा। अदालत ने कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) समय समय पर स्थिति रिपोर्ट देता रहा है जिससे पता चलता है कि सरायकाले खा में 8.25 एकड़, नरेला में 10 एकड़, आनंद विहार में 16.33 एकड़ और रोहिणी फेज पांच में 20 एकड़ जमीन आबंटित की जा चुकी है।

अदालत ने कहा कि डीटीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जमीन के कुछ हिस्से पर अतिक्रमण हुआ है और भू-उपयोग नहीं बदला गया है, फिर भी रिकार्ड से पता चलता है कि जमीन के उल्लेखनीय हिस्से को आबंटित किया गया है। उसने डीडीए के इस दावे का भी जिक्र किया कि वैकल्पिक स्थलों का कब्जा डीटीसी को सौंप दिया गया है और भूखंडों का भू उपयोग अधिसूचनाओं के जरिए बदल दिया गया है।

उसने कहा कि अतएव अदालत का मत है कि डीटीसी को 13 सितंबर, 2012 के आदेश का पालन करना ही होगा। अदालत का मंगलवार का आदेश पर्यावरण कार्यकर्ता आनंद आर्य और मनोज मिश्र की इस अवमानना याचिका पर आया है कि डीटीसी ने हाई कोर्ट के 13 सितंबर, 2012 के आदेश का पालन नहीं किया है।